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Chhath Puja 2025: छठ व्रत में इन 6 बातों का रखें खास ध्यान, वरना रुष्ट हो सकती हैं छठी मैया

Chhath Puja 2025: छठ पूजा केवल एक व्रत नहीं, बल्कि श्रद्धा, त्याग और प्रकृति के प्रति सम्मान का महा-उत्सव है. इस व्रत के नियमों का पालन कर ही छठी मैया और सूर्य देव की कृपा पाई जा सकती हैं और जीवन में खुशहाली ला सकते हैं. आइए जानते हैं छठ पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Shyamnandan Updated: Oct 23, 2025 12:44
Chhath-Puja-2025

Chhath Puja 2025: छठ महापर्व हर साल बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत कई राज्यों में बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. यह पर्व इस बार 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक चलेगा. छठ पूजा सूर्य देव की उपासना का विशेष अवसर है, जिसमें श्रद्धालु अपने घरों और आस-पास के तालाब या नदियों में जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं. माना जाता है कि सूर्य देव की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.

लेकिन इस पवित्र व्रत को रखने के कई नियम और परंपराएं जुड़ी हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है. इन नियमों का उल्लंघन करने पर व्रत अधूरा रह सकता है और छठी मैया रुष्ट हो सकती हैं. आइए जानते हैं छठ पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?

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मिट्टी के चूल्हे पर बनाएं प्रसाद

छठ पूजा का प्रसाद खास होता है और इसे बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे पर ही खाना पकाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इससे प्रसाद में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. साथ ही, प्रसाद की तैयारी और वितरण में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. प्रसाद को घर के मुख्य भोजन क्षेत्र से अलग जगह पर बनाएं.

व्रती को सही स्थान पर सोना चाहिए

छठ व्रत में व्रती, खासकर महिलाएं, बिस्तर पर नहीं सोतीं. उन्हें फर्श पर चादर बिछाकर ही सोना चाहिए. यह एक सादगी और त्याग का प्रतीक है जो व्रत की पवित्रता को बढ़ाता है. इससे शरीर और मन दोनों व्रत के प्रति सजग रहते हैं.

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बिना हाथ धोए न छुएं पूजा के सामान

साफ़-सफाई और पवित्रता का बहुत महत्व है. पूजा के दौरान बिना हाथ धोए किसी भी सामग्री को छूना वर्जित है. इससे पूजा की पवित्रता प्रभावित होती है. साथ ही बच्चों को छठ पूजा का प्रसाद जूठा न करने दें, जब तक पूरा पर्व समाप्त न हो जाए.

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भाषा और व्यवहार में रखें शालीनता

व्रत के दौरान अपशब्दों और अभद्र भाषा का उपयोग न करें. छठ पूजा का समय शुद्धि और सकारात्मकता का होता है. इसलिए व्यवहार में संयम और शांति बनाए रखना आवश्यक है. यह न केवल आपकी आध्यात्मिकता को बढ़ाता है, बल्कि परिवार में भी सद्भाव बनाए रखता है.

सही बर्तन से दें सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा में सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए जिस पात्र या बर्तन का उपयोग किया जाता है, वह चांदी, स्टेनलेस स्टील, ग्लास या प्लास्टिक का नहीं होना चाहिए. आमतौर पर मिट्टी या तांबे के पात्र को शुभ माना जाता है. ये परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. सही बर्तन से अर्घ्य देने से पूजा की पवित्रता बनी रहती है.

अर्घ्य देने के बाद ही ग्रहण करें जल और भोजन

छठ पूजा में यह नियम सबसे महत्वपूर्ण है कि सूर्य को अर्घ्य दिए बिना जल या भोजन ग्रहण न करें. यह व्रत की अंतिम और सबसे पवित्र परंपरा होती है. अर्घ्य के बाद ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है और छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है.

इन बातों का भी रखें ध्यान

  • शुद्ध मन और संयमित सोच के साथ व्रत रखें.
  • सूर्य देव के लिए साफ-सुथरा स्थान तैयार करें.
  • परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा में भाग लें.
  • छठ पूजा के दौरान मोबाइल और अनावश्यक व्यस्तता से बचें, पूरा ध्यान भगवान की भक्ति में लगाएं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 23, 2025 12:43 PM

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