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Religion

Champa Shashti 2025: आज है चंपा षष्ठी, जानिए इसे क्यों कहते हैं खंडोबा और बैंगन छठ? जानें महत्व और पूजा विधि

Champa Shashti 2025: मार्गशीर्ष यानी अगहन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी व्रत रखा जाता है। इस दिन को खंडोबा या बैंगन छठ भी कहते हैं। आइए जानते है, महाराष्ट्र और कर्नाटक में मुख्य रूप से मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व और पूजा विधि।

Author Written By: Shyamnandan Author Published By : Shyamnandan Updated: Nov 26, 2025 09:28
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Champa Shashti 2025: आज बुधवार 26 नवंबर, 2025 को मार्गशीर्ष यानी अगहन मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। पंचांग में इस दिन को चंपा षष्ठी कहते हैं। षष्ठी तिथि मातृ शक्ति और स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से रोग-निवारण की शक्ति बढ़ती है और परिवार को स्वास्थ्य-लाभ मिलता है। दक्षिण भारत में इसे स्कंद षष्ठी भी कहते हैं और इस दिन भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद या सुब्रमण्यम की उपासना और पूजा की जाती है।

भगवान खंडोबा की पूजा

देश के कई हिस्सों में भगवान शिव की आराधना उनके विविध लोक-रूपों में की जाती है। इन्हीं में एक शक्तिशाली और लोकप्रिय रूप हैं भगवान खंडोबा, जिन्हें ग्रामदेवता और रक्षक देव के रूप में पूजा जाता है। हर वर्ष अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर उनकी जयंती श्रद्धा, उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के साथ मनाई जाती है। हालांकि, यह पर्व देशभर में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसकी आस्था और लोकप्रियता सबसे अधिक देखने को मिलती है। वहां इसे विशेष उत्सव और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

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बैंगन छठ भी कहते हैं इसे

चंपा षष्ठी के अवसर पर केवल बाबा खंडोबा ही नहीं, बल्कि भगवान शिव की भी विशेष पूजा की जाती है। इस दिन इन देवताओं को बैंगन और बाजरे का भोग अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में भक्त ग्रहण करते हैं। चूंकि यह पूजा षष्ठी तिथि को होती है और विशेष रूप से भगवान को बैंगन अर्पित किया जाता है, इसलिए इस दिन को पारंपरिक रूप से बैंगन षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

हल्दी वर्षा का उत्सव है चंपा षष्ठी

भगवान खंडोबा को शिव के एक उग्र और रक्षक स्वरूप के रूप में पूजा जाता है। भगवान खंडोबा को मार्तंड भैरव, मल्हारी मार्तंड, मल्लारी और खंडेराय जैसे नामों से भी जाना जाता है। उन्हें एक पराक्रमी योद्धा देवता माना गया है। वे विशेष रूप से किसानों, पशुपालकों और ग्रामीण समाज के संरक्षक देव माने जाते हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध धाम महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के जेजुरी गांव में स्थित है, जिसे ‘सोने की जेजुरी’ भी कहा जाता है। खंडोबा जयंती के अवसर पर यहां भक्त हल्दी की वर्षा कर एक अनोखे ढंग से उत्सव मनाते हैं, जिसका दृश्य अत्यंत अद्भुत और अद्वितीय होता है। इस दिन खंडोबा की शोभायात्रा, ढोल-ताशों और भव्य सवारी के साथ निकाली जाती है।

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ऐसे करें चंपा षष्ठी की पूजा

खंडोबा और शिव की पूजा: चंपा षष्ठी के दिन बाबा खंडोबा के साथ-साथ भगवान शिव की भी आराधना की जाती है। इस अवसर पर दोनों देवताओं को बैंगन और बाजरे का भोग अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
शिवलिंग पूजा का विकल्प: यदि आपके नज़दीक खंडोबा का मंदिर नहीं है, तो आप इस दिन शिवलिंग की पूजा करके भी पुण्य कमा सकते हैं।
पूजा सामग्री और अर्पण: शिवलिंग पर धतूरा, बिल्व पत्र, आकड़े के फूल और अन्य पारंपरिक सामग्री एक-एक कर चढ़ाएं।
अभिषेक और मंत्र जाप: संभव हो तो गाय के दूध से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान के मंत्रों का जाप करके पूजा को पूर्ण करें।
आरती और फल: पूजा के अंत में विधिपूर्वक आरती करें। इस तरह से चंपा षष्ठी की पूजा करने से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Nov 26, 2025 09:24 AM

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