Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह पर्व भगवान बुद्ध के तीन प्रमुख जीवन चरणों का उत्सव है। उनका जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी नेपाल में हुआ था। उनको 35 साल की उम्र में बिहार के बोधगया में वृटवृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। अंत में उन्होंने 80 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में उन्होंने शरीर छोड़ा और महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।
बुद्ध के उपदेश, जैसे अहिंसा, करुणा, सत्य, और अष्टांगिक मार्ग आज के समय में लोगों को प्रेरित करते हैं। हिंदू धर्म में भी यह दिन खास है, क्योंकि कुछ मान्यताओं में बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। यह पर्व हमें क्रोध, लालच, और अज्ञान छोड़कर शांति और ज्ञान की ओर बढ़ने की सीख देता है। लोग इस दिन अच्छे कर्म और सकारात्मक विचारों का संकल्प लेते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 की तिथि
बुद्ध पूर्णिमा वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में यह पर्व 12 मई को है। पूजा के लिए सबसे इस साल पूर्णिमा तिथि 11 मई को दोपहर 12:35 बजे शुरू हो गई थी और 12 मई को दोपहर 3:25 बजे तक रहेगी। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 12 मई को सुबह 5:30 बजे से 7:30 बजे तक है, जो ब्रह्म मुहूर्त और प्रभात काल का समय है। इसके बाद आप दोपहर में अभिजीत मुहूर्त 11:45 बजे से 12:30 बजे के बीच भी पूजा कर सकते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 की पूजा विधि
पूजा शुरू करने के लिए स्नान करें और साफ, सादे कपड़े पहनें। घर के मंदिर या किसी शांत कोने को साफ करें। एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान बुद्ध की मूर्ति या तस्वीर रखें। मूर्ति के सामने एक दीपक और अगरबत्ती रखें। पूजा के लिए सामग्री में फूल, खासकर कमल या सफेद फूल, चंदन, धूप, फल, मिठाई, जैसे खीर या हलवा, तुलसी पत्र, और गंगाजल साथ रखें। अगर आपके पास पीपल वृक्ष की पत्तियां हों, तो पूजा में उन्हें भी शामिल करें, क्योंकि यह भगवान बुद्ध के ज्ञान से जुड़ा है।
सबसे पहले दीपक और धूपबत्ती जलाएं। भगवान बुद्ध को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। अगर तस्वीर है, तो जल के छींटे मारें। इसके बाद चंदन, फूल, और तुलसी पत्र अर्पित करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। अब बुद्ध मंत्र का ‘ॐ नमो बुद्धाय’ का जाप करें। इसे माला के साथ 108 बार जपना बहुत शुभ माना जाता है। आप चाहें तो ‘बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि’ का पाठ भी कर सकते हैं। पूजा के बाद कुछ देर बुद्ध के सामने ध्यान करें। उनकी शिक्षाओं, जैसे अहिंसा और करुणा पर विचार करें और अपने व विश्व की शांति के लिए प्रार्थना करें। पारंपरिक आरती की जगह, दीपक को मूर्ति के सामने घुमाकर शांति मंत्र पढ़ें, जैसे ‘सर्वं मंगलमय भवतु’। पूजा के बाद भोग का प्रसाद परिवार में बांटें।
इन चीजों का करें दान
इस दिन दान का बहुत महत्व होता है। जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या धन दान करें। बौद्ध मठों में अनाज, फल, या दूध दान करना भी शुभ होता है। अगर संभव हो, तो किसी बौद्ध मठ में जाकर दीपदान करें। कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। वे सात्विक भोजन, यानी बिना लहसुन-प्याज का खाना, खाते हैं या सिर्फ फल और दूध लेते हैं। रात में भोग का प्रसाद ग्रहण करें।
करें ये विशेष उपाय
बुद्ध पूर्णिमा को और शुभ बनाने के लिए कुछ खास उपाय कर सकते हैं। अगर आपके घर के पास पीपल का पेड़ है तो उसकी पूजा करें। पेड़ पर जल चढाएं, धागा बांधें, और परिक्रमा करें। यह बुद्ध के ज्ञान से जुड़ा है। पशुओं को चारा या भोजन खिलाएं, क्योंकि बुद्ध अहिंसा के प्रतीक हैं। इस दिन बुरे कर्म, जैसे झूठ, क्रोध, या हिंसा, से बचने और अच्छे कर्म करने का संकल्प लें।
बुद्ध पूर्णिमा पर क्या न करें?
इस पवित्र दिन मांस, मछली, या शराब का सेवन न करें। क्रोध, झूठ, या नकारात्मक विचारों से दूर रहें। तामसिक काम न करें। पूजा के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें, ताकि बुद्ध की शिक्षाओं का पूरा लाभ मिले।
दिन का करें सदुपयोग
बुद्ध पूर्णिमा का दिन सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं है। बुद्ध के उपदेश, जैसे चार आर्य सत्य या अष्टांगिक मार्ग पढें। अगर संभव हो, तो बोधगया, कुशीनगर, या किसी बौद्ध मठ में जाएं। ध्यान और योग करें, ताकि मन शांत और सकारात्मक रहे। अपने व्यवहार में करुणा और सत्य को अपनाएं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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