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Religion

इन दिशाओं में मुंह करके कभी न करें पूजा, नहीं मिलेगा फल

Puja Tips: वैदिक शास्त्रों में पूजा-पाठ के कई सारे नियम बताए गए हैं। पूजा करते समय दिशा का बहुत अधिक महत्व माना गया है। भगवान और भक्त का मुख किस तरफ होना चाहिए। इसको लेकर कुछ नियम हैं। आइए जानते हैं कि किस दिशा में मुख करके पूजा करना शुभ होता है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 2, 2025 19:34
Puja Tips
credit- pexels

Puja Tips: वैदिक शास्त्रों और ज्योतिष में पूजा-पाठ के लिए दिशाओं का विशेष महत्व माना गया है। हिंदू धर्म में माना जाता है कि पूजा के दौरान सही दिशा का चयन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, गलत दिशा में पूजा करने से पूजा का फल नहीं मिलता और नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वैदिक ग्रंथों जैसे वास्तु शास्त्र, अग्नि पुराण और स्कंद पुराण में पूजा के लिए उपयुक्त और अनुपयुक्त दिशाओं के बारे में बताया गया है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक दिशा का संबंध किसी न किसी देवता और ऊर्जा से होता है। सही दिशा में पूजा करने से मनुष्य की मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इसके विपरीत कुछ दिशाएं ऐसी हैं, जो पूजा के लिए वर्जित मानी गई हैं, क्योंकि इन दिशाओं में नकारात्मक ऊर्जा या अशुभ शक्तियों का प्रभाव माना जाता है। अग्नि पुराण के अध्याय 56 और वास्तु शास्त्र में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि पूजा के लिए उत्तर-पूर्व मतलब ईशान कोण व पूर्व और उत्तर दिशा सर्वोत्तम मानी जाती। इसके साथ ही कुछ दिशाओं से बचना चाहिए। आइए जानते हैं कि किन दिशाओं में मुंह करके पूजा करने से बचना चाहिए।

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दक्षिण दिशा

दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है। स्कंद और वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में मुंह करके पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है और पूजा का फल नहीं मिलता है। यमराज मृत्यु और अंत के देवता हैं इसलिए इस दिशा में पूजा करने से जीवन में बाधाएं और मानसिक अशांति बढ़ सकती है। इस दिशा में पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, आर्थिक हानि, और परिवार में तनाव उत्पन्न हो सकता है। यदि पूजा कक्ष दक्षिण दिशा में है, तो पूजा करते समय मुंह को पूर्व या उत्तर की ओर रखें।

पश्चिम दिशा

पश्चिम दिशा के स्वामी वरुण देवता हैं, जो जल तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा में मुंह करके पूजा करना अनुचित है, क्योंकि यह दिशा सूर्यास्त और अंधकार की होती है। अग्नि पुराण के अनुसार पश्चिम दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुकता है। इस दिशा में पूजा करने से कार्यों में बाधाएं, आत्मविश्वास की कमी और आध्यात्मिक प्रगति में रुकावट आ सकती है। पूजा के लिए हमेशा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा का चयन करें, क्योंकि ये दिशाएं सूर्य और ईशान देवता से संबंधित हैं।

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दक्षिण-पश्चिम दिशा

दक्षिण-पश्चिम दिशा को वास्तु में नैऋत्य कोण कहा जाता है, जिसका संबंध राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों से माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में मुंह करके पूजा करने से पूजा का प्रभाव कम होता है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इस दिशा में पूजा करने से परिवार में अशांति, आर्थिक नुकसान, और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस दिशा में पूजा कक्ष बनाना भी वर्जित है। यदि पूजा कक्ष इस दिशा में है तो पूजा के समय मुंह को उत्तर-पूर्व की ओर करें।

दक्षिण-पूर्व दिशा

दक्षिण-पूर्व दिशा को अग्नि कोण कहा जाता है। यह दिशा अग्नि तत्व और अग्नि देवता से संबंधित है। यह दिशा रसोई और ऊर्जा कार्यों के लिए उपयुक्त है, लेकिन पूजा के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में मुंह करके पूजा करने से मानसिक तनाव और क्रोध बढ़ सकता है। इस दिशा में पूजा करने से रिश्तों में तनाव, अनावश्यक विवाद, और कार्यों में रुकावटें आ सकती हैं।

इन दिशाओं में मुख करके करें पूजन

उत्तर-पूर्व दिशा या ईशान कोण भगवान विष्णु और शिव से संबंधित है। इस दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है। वहीं, पूर्व दिशा सूर्य देव की होने के कारण यह दिशा ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करती है। उत्तर दिशा कुबेर और लक्ष्मी जी की दिशा होने के कारण यह धन और समृद्धि के लिए उपयुक्त है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Aug 02, 2025 07:27 PM

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