Rangbhari Ekadashi 2025: हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव महाशिवरात्रि के बाद माता गौरा को विदा करवाकर काशी लाए थे। इस कारण काशी में रंगभरी एकादशी के दिन काफी बड़ा उत्सव होता है। लोग रंग-गुलाल उड़ाते हुए भोलेनाथ और माता पार्वती की झांकी में शामिल होते हैं। यह एकादशी हिंदू वर्ष की आखिरी एकादशी है। इसके बाद चैत्र माह से नए वर्ष की शुरुआत हो जाती है।
साल 2025 में 10 मार्च को रंगभरी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस साल इस पर्व पर तीन शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इन शुभ योगों के कारण इस दिन का महत्व दोगुना बढ़ गया है। इसके साथ ही इस दिन कुछ आसान से उपायों को करने से काफी लाभ मिलता है।
बन रहे हैं ये शुभ योग
इस दिन सुबह 6 बजकर 26 मिनट तक रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है। इसके बाद रात 11 बजकर 55 तक रवि योग बना रहेगा। इस कारण यह दिन काफी शुभ रहने वाला है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ और माता पार्वती का पूजन भी काफी शुभ फलदाई माना गया है। आइए जानते हैं कि इस दिन पूजन कैसे करें?
ऐसे करें पूजन
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं। भगवान शिव और माता पार्वती का जल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की भी पूजा इस दिन करें। इस दिन व्रत भी रखें।
करें ये उपाय
- रंगभरी एकादशी के दिन 1 से 21 पीले फूल की माला बनाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। इसके साथ ही उनको खीर का भोग लगाएं। भोग में तुलसी जरूर डालें। ऐसा करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
- सुख और समृद्धि पाने के लिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें और भगवान विष्णु को आंवले का भोग अर्पित करें।
- कार्यक्षेत्र में तरक्की पाना चाहते हैं तो आंवले के पेड़ पर जल अर्पित करें। इसके साथ ही आंवले के पेड़ के नीचे की थोड़ी सी मिट्टी माथे पर तिलक के रूप में लगानी चाहिए।
- अगर आपने व्रत रखा है तो अगले दिन 11 मार्च को किसी जरूरतमंद को कलश, वस्त्र और आंवले का दान करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मशास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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