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आपकी किस्मत बदल देंगे नीम के ये 5 उपाय, दूर होंगी सारी समस्याएं!

Astro Tips : नीम के पौधे को शास्त्रों में बेहद ही पवित्र माना गया है। पुराणों और ग्रंथों के अनुसार इस पेड़ पर माता दुर्गा और शीतला देवी का निवास होता है। वहीं, तांत्रिक ग्रंथों में इस पेड़ को माता काली का भी प्रतीक माना गया है। इस कारण नीम से जुड़े कुछ उपायों करने से जीवन की अधिकतर समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Apr 28, 2025 10:23
Astro Tips

Astro Tips : नीम का पेड़ न केवल अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। नीम का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मकता लाने में सहायक माना जाता है। हिंदू धर्म के शास्त्रों, आयुर्वेद, और लोक परंपराओं में नीम को पवित्र और शुभ माना गया है।

हिंदू धर्म में नीम के पेड़ को देवी-देवताओं का प्रतीक माना जाता है। पुराणों और शास्त्रों में नीम को माता दुर्गा और देवी शीतला से जोड़ा जाता है। शीतला माता, जो चेचक और अन्य रोगों से रक्षा करती हैं, उनके मंदिरों में नीम के पेड़ को विशेष रूप से पूजा जाता है। नीम की पत्तियों को शीतला माता के प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह रोगों से मुक्ति दिलाता है।

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वास्तु शास्त्र के अनुसार, नीम का पेड़ घर के आसपास लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ती है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में लगाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिशा आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। नीम का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करता है और हानिकारक कीट-पतंगों को दूर रखता है, जिसे शास्त्रों में शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है।

आयुर्वेद में नीम को ‘सर्वरोग निवारिणी’ कहा गया है, अर्थात यह सभी रोगों को दूर करने वाली औषधि है। यह गुण इसे धार्मिक अनुष्ठानों में भी महत्वपूर्ण बनाता है। नीम की पत्तियों को यज्ञ, हवन, और पूजा में उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह वातावरण को शुद्ध करता है। स्कंद पुराण में नीम को अमृत के समान बताया गया है, जो जीवन को स्वस्थ और समृद्ध बनाता है।

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नीम का संबंध ग्रहों से भी है। ज्योतिष शास्त्र में नीम को शनि और राहु के प्रभाव को कम करने में सहायक माना जाता है। नीम की पत्तियों का उपयोग तंत्र-मंत्र और ज्योतिषीय उपायों में भी किया जाता है, जिससे बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। इसके साथ ही तांत्रिक ग्रंथों इस पेड़ को माता काली का भी प्रतीक माना गया है। इस कारण नीम के पेड़ से संबंधित कुछ उपायों को करने से सभी प्रकार की समस्याओं का अंत होता है। आइए जानते हैं कि नीम के किन उपायों को करने से क्या लाभ होता है।

नकरात्मक ऊर्जा दूर करता है यह उपाय

आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है या बार-बार समस्याएं आ रही हैं, तो शनिवार या मंगलवार की सुबह नीम की 7 ताजी पत्तियां लें और उन्हें एक लाल कपड़े में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर लटका दें। ऐसा माना जाता है कि यह उपाय बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों को घर में प्रवेश करने से रोकता है। पत्तियां सूख जाने पर उन्हें बदल दें और पुरानी पत्तियों को किसी पवित्र स्थान पर रख दें।

रोग होते हैं दूर

शीतला माता की पूजा में नीम की पत्तियों का विशेष महत्व है। हर महीने की सप्तमी या अष्टमी तिथि के दिन नीम की पत्तियों को जल में उबालकर उस जल से स्नान करें। इसके बाद शीतला माता के मंदिर में नीम की पत्तियां और फूल अर्पित करें। यह उपाय रोगों से रक्षा करता है और इससे व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है।

शनि प्रकोप से मिलती है मुक्ति

ज्योतिष में शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए नीम का उपयोग किया जाता है। शनिवार के दिन सुबह नीम की 11 पत्तियां लें और उन्हें शहद में डुबोकर शनि मंदिर में अर्पित करें। इसके बाद “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। यह उपाय शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव को कम करने में सहायक है। इसके साथ ही नीम की टहनी को अपने तकिए के नीचे रखकर सोने से बुरे सपने और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

वास्तु दोष होता है दूर

यदि आपके घर में वास्तु दोष है, तो नीम का पेड़ लगाना एक प्रभावी उपाय माना जाता है। घर के उत्तर-पूर्व दिशा में नीम का पेड़ लगाएं और रोजाना इसके नीचे दीपक जलाएं। नीम की पत्तियों को घर के कोनों में रखने से भी वास्तु दोष कम होता है। प्रत्येक अमावस्या को नीम की पत्तियों को जल में उबालकर उस जल से घर की साफ-सफाई करें। यह उपाय घर को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

पितृदोष से मिलती है मुक्ति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष है या राहु-केतु का प्रभाव है तो घर के दक्षिण या वयाव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में नीम का पेड़ अवश्य लगाएं। ऐसा करने से पितृदोष और राहु-केतु के प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Apr 28, 2025 09:40 AM

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