Ashadha Purnima vrat 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, साल में 12 बार पूर्णिमा तिथि आती हैं। ऐसे में हर महीने एक पूर्णिमा तिथि पड़ती है। इस बार 21 जुलाई को पूर्णिमा तिथि का व्रत रखा जाएगा, जोकि बेहद खास है, क्योंकि ये आषाढ़ माह में मनाई जाएगी। दरअसल, इस साल 23 जून से 21 जुलाई तक आषाढ़ माह है, जिसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार चौथा मास माना जाता है। इस दौरान आने वाले व्रत और त्योहार के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से पूजा-पाठ करता है, उसकी सभी इच्छा पूर्ण होती हैं। चलिए जानते हैं आषाढ़ माह व्रत की पूजा विधि और उपायों के बारे में।
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन विशेषतौर पर धन की देवी मां लक्ष्मी और चंद्र देवता की आराधना की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। आइए अब जानते हैं आषाढ़ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि के बारे में।
- आषाढ़ पूर्णिमा के दिन प्रात: काल उठें। स्नान आदि कार्य करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद उगते हुए सूर्य को जल से अर्घ्य दें और सूर्य देवता की पूजा करें।
- घर के मंदिर में एक चौकी लगाकर उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। चौकी पर विष्णु जी और मां लक्ष्मी की जोड़े में तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें।
- देवी-देवताओं की पूजा करें और उन्हें फूल, फल, चंदन और मिठाई का भोग लगाएं और व्रत का संकल्प लें। इस दौरान मंत्रों का उच्चारण करें।
- इसे बाद चंद्र देवता के नाम का जाप करें।
- अंत में देवी-देवताओं के सामने दीपक जलाएं और उनकी आरती करें।
- शाम में चंद्र देवता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और उन्हें जल से अर्घ्य दें।
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आषाढ़ पूर्णिमा के उपाय
- आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना करने के बाद उन्हें श्रीफल यानी नारियल और तुलसी के पत्तों से बनी माला जरूर अर्पित करें। इससे देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण करते हैं।
- आषाढ़ पूर्णिमा पर धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए घर में श्रीयंत्र को स्थापित करें और विधि-पूर्वक उसकी पूजा करें। इससे मां प्रसन्न होती हैं और साधक को अपना विशेष आशीर्वाद देती हैं।
- आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन व्रत रखने के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों को अपने सामर्थ्य अनुसार वस्त्र और अन्न का दान करें। इससे देवी-देवता और पूर्वज खुश होंगे, जिससे आपके घर-परिवार में सदा खुशहाली बनी रहेगी।
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