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Chitragupta Ji Ki Aarti। चित्रगुप्त महाराज की आरती: ओम जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे। Om Jai Chitragupta Hare Lyrics in Hindi

Chitragupta Maharaj Ji Ki Aarti: भगवान चित्रगुप्त हर जीव के अच्छे और बुरे कर्मों की पूरी जानकारी रखते हैं और इसे यमराज के सामने प्रस्तुत करते हैं. चित्रगुप्त महाराज की पूजा करने का खास महत्व होता है. उनकी पूजा के साथ ही चित्रगुप्त महाराज की आरती करनी चाहिए.

Author Written By: Aman Maheshwari Author Published By : Aman Maheshwari Updated: Oct 23, 2025 08:52
Chitragupta Maharaj Ji Ki Aarti

Chitragupta Maharaj Ji Ki Aarti, Om Jai Chitragupta Hare Lyrics in Hindi: चित्रगुप्त की पूजा कायस्थ समाज के लोग जरूर करते हैं. कायस्थ समाज वह लोग होते हैं जो प्रशासन, लेखन और शिक्षा के क्षेत्र में निपुण होते हैं. इन्हें भगवान चित्रगुप्त जी से उत्पन्न माना जाता है. चित्रगुप्त अपने पास हर जीव के अच्छे और बुरे कर्मों की पूरी जानकारी रखते हैं और इसे समय आने पर यमराज के समक्ष प्रस्तुत करते हैं. आपको चित्रगुप्त का विधि-विधान से पूजन करने के बाद उनकी आरती करनी चाहिए. आप यहां पर चित्रगुप्त भगवान की आरती पढ़ सकते हैं.

चित्रगुप्त भगवान की आरती (Chitragupta Maharaj Ji Ki Aarti)

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ओम जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे,

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

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रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै।
मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका, करमें अति सोहै।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

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विश्व न्याय का कार्य संभाला, ब्रम्हाहर्षाये।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, यादतुम्हें कीन्हा।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

दारा, सुत, भगिनी, सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती, प्रेम सहित गावैं।
चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे, आसन दूजी करते ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे,

स्वामीजय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 23, 2025 08:52 AM

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