Shani Dev Puja: शनिवार के दिन भगवान शनि को समर्पित होता है। शनि देव को कर्मफलदाता माना गया है। वे व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसको फल देते हैं। इसके साथ ही शनिदेव को न्यायाधीश भी कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति पर शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या चलती है तो उसकी लाइफ बेहद ही अस्त-व्यस्त हो जाती है। ऐसे में वह व्यक्ति जिस भी कार्य को करता है, उसे उसमें नुकसान ही उठाना पड़ता है।
इससे बचने के लिए वे लोग शनि मंदिर में जाते हैं और शनिदेव का पूजन करते हैं। हालांकि इसके बाद भी उनकी परेशानी कम नहीं होती है। वहीं, कुछ लोगों की परेशानी तो शनि मंदिर में जाने के बाद से बढ़ भी जाती है।
क्या हैं कारण?
आपकी परेशानी कम न होने या बढ़ जाने का मुख्य कारण पूजा में गलती करना है। दरअसल शनि की दृष्टि कभी भी आपके ऊपर नहीं पड़नी चाहिए। अधिकतर लोग शनि मंदिर में जाकर शनिदेव की पूजा तो करते हैं पर सामान्य सी दिखने वालीं कुछ बड़ी गलतियां कर जाते हैं। आइए जानते हैं कि शनिदेव के मंदिर में किन गलतियों को करने से बचना चाहिए?
शनिदेव के सामने हाथ जोड़ना
अधिकतर लोग शनिदेव के सामने जाकर उनको प्रणाम करते हैं, जो कि गलत तरीका है। शनिदेव न्यायाधीश हैं। इस कारण कभी भी उनको हाथ जोड़कर प्रणाम न करें। उनके सामने सिर झुकाएं और अपने हाथों को कमर के पीछे बांधें। आपको ठीक उसी प्रकार से करना है, जैसे कोर्ट में जज को नमस्कार किया जाता है।
शनिदेव की मूर्ति के सामने खड़ा होना
लोग शनिदेव की पूजा उनके सामने खड़े होकर करने लगते हैं, ये बिल्कुल गलत तरीका है। शनिदेव की मूर्ति के सामने खड़े होकर उनकी पूजा कभी भी नहीं करनी चाहिए। शनिदेव की पूजा करते समय हमेशा मूर्ति के साइड में खड़े रहना चाहिए।
शनि भगवान की आंखों में देखना
कभी भी शनिदेव की आंखों में नहीं देखना चाहिए। दरअसल शनिदेव की दृष्टि क्रूर मानी गई है, उनकी आंखों में देखने से फायदे की जगह आपको नुकसान हो सकता है।
शनिवार को दीपक के लिए तेल खरीदना
शनिवार के दिन सरसों का तेल नहीं खरीदना चाहिए। इससे शनि की प्रभाव ज्यादा बढ़ जाता है। लोग शनिदेव के मंदिर के बाहर से ही तेल और दीपक खरीदते हैं, जो कि गलत है। शनिवार से पहले ही आपको तेल खरीद लेना चाहिए और उसी तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
लाल फूल अर्पित करना
शनिदेव की पूजा में कभी भी लाल फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। दरअसल लाल रंग मंगल का माना जाता है, जिसे शनिदेव की पूजा में शामिल नहीं करना चाहिए।
तांबे या पीतल का प्रयोग करना
शनिदेव के पूजा में तांबे या पीतल के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तांबा या पीतल धातु सूर्य से संबंधित है। सूर्य भगवान शनिदेव के पिता हैं, लेकिन दोनों ही एक-दूसरे से शत्रुता का भाव रखते हैं। इस कारण इन पात्रों का उपयोग शनि पूजन में न करें।
दूध से बनी चीजें अर्पित करना
शनिदेव को दूध से बनी चीजें जैसे मिठाई आदि नहीं अर्पित करनी चाहिए। दूध का संबंध चंद्रमा से होता है, इस कारण शनिदेव की पूजा में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मित शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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