Sawan 2025: सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति और तप के लिए विशेष महत्व रखता है। यह समय आध्यात्मिक शुद्धि और शिव कृपा प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर होता है। शास्त्रों के अनुसार अगर आपने पूरे सावन भर किसी कारण से पूजन नहीं कर पाया है तो सावन के अंतिम दिन कुछ उपाय करने से पूरे महीने की पूजा के समान फल मिल जाता है। साल 2025 में सावन महीने के अंत 9 अगस्त रक्षाबंधन यानी सावन माह की पूर्णिमा से हो रहा है। आप 7,8 या 9 अगस्त को कुछ आसान से उपायों को कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन किन कार्यों को किया जाना चाहिए।
तीन से अधिक पत्ती वाला बेलपत्र करें अर्पित
शिव पुराण के अनुसार, बेलपत्र और धतूरा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। तीन से अधिक पत्ती वाला बेलपत्र बेहद ही शुभ माना गया है। चार या पांच पत्ती वाले बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। सावन के अंतिम दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और शिव मंदिर जाएं। वहां शिवलिंग पर गंगाजल, दूध और शहद के मिश्रण (पंचामृत) से अभिषेक करें। इसके बाद तीन से अधिक पत्ती वाला बेलपत्र उनको अर्पित कर दें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
पीले कनेर के फूल
शिव पुराण और ज्योतिष ग्रंथों में कनेर के फूल को भगवान शिव के प्रिय पुष्पों में गिना गया है। पीले कनेर का फूल भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और सूर्य ग्रह को मजबूत करने में सहायक माना जाता है। सावन के अंतिम दिन शिवलिंग पर चंदन मिश्रित जल से अभिषेक करें। इसके बाद पीले कनेर के फूल और चने की दाल अर्पित करें। ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। पूजा के बाद मंदिर में बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें। यह उपाय आत्मविश्वास और मान-सम्मान में वृद्धि करता है। इसके साथ ही सूर्य दोष को शांत करने में भी मदद करता है।
शमी पत्र और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक
वेद-पुराणों में शमी के पेड़ और इसके पत्तों को अत्यंत शुभ माना गया है। शिव पुराण में शमी पत्र और गन्ने के रस से अभिषेक को विशेष फलदायी बताया गया है। सावन के अंतिम दिन शिव मंदिर में जाएं और गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। शमी के पत्तों पर शहद लगाकर शिवलिंग पर अर्पित करें। ‘ॐ नमो भगवते रुद्राय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद हरे मूंग की दाल भी अर्पित करें।
दो मुखी रुद्राक्ष की पूजा
शिव पुराण में रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। सावन के अंतिम दिन सुबह स्नान के बाद दो मुखी रुद्राक्ष की पूजा करें। इसे गंगाजल से शुद्ध करें और शिवलिंग के सामने रखकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद रुद्राक्ष को गले में धारण करें और शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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