Raipur Assembly History: छत्तीसगढ़ की रायपुर विधानसभा के इतिहास में एक ऐसा अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है, जो शायद ही किसी को पता होगा। यहां के विधायक तरूण चटर्जी ने तीन बार पार्टी बदली और हर बार जीतते गए। लेकिन वर्ष 2003 में उन्हें पार्टी बदलना भारी पड़ गया। इस दौरान वे भाजपा से कांग्रेस गए और बीजेपी के ही राजेश मूणत से हार गए थे।
प्यारे लाल सिंह पहले थे पहले विधायक
बता दें कि रायपुर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास बहुत ही पुराना और रोमांचक रहा है। वर्ष 1951-52 में रायपुर में एक ही विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था। उस विधानसभा सीट पर किसान मजदूर प्रजा पार्टी से जीतकर प्यारे लाल सिंह पहले विधायक बने। उस समय रायपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 49841 थी, जिसमें से 18608 मतदाताओं ने ही वोट किया था। लेकिन वर्तमान में रायपुर चार विधानसभाओं में बंटा हुआ है और यहां कुल लगभग 8 लाख वोटर्स हो चुके हैं।
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2003 में हार गए थे तरूण चटर्जी
रायपुर में 1951 से लेकर 1972 तक एक ही विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था। उसके बाद 1977 के चुनाव में वोटर्स की संख्या में बढ़ोतरी होने के बाद रायपुर को एक विधानसभा की जगह दो विधानसभा क्षेत्रों में बांट दिया गया। इसके बाद 1977 से लेकर 2003 तक दो विधानसभा क्षेत्र रहा। इस दौरान रायपुर ग्रामीण क्षेत्र से तीन बार पार्टी बदलकर तरूण चटर्जी (1990, 1993, 1998) में विधायक बने। 2003 में तरूण चटर्जी फिर पार्टी बदलकर भाजपा से कांग्रेस गए थे, जिसके बाद उन्हें बीजेपी के ही राजेश मूणत से हार का सामना करना पड़ा था।
2008 के चुनाव में एक बार फिर रायपुर की दो विधानसभा को चार विधानसभा क्षेत्रों में बदल दिया गया। रायपुर पश्चिम, रायपुर दक्षिण, रायपुर उत्तर और रायपुर ग्रामीण, जिसके बाद से अभी तक चार ही विधानसभा क्षेत्र हैं।