Swami Viveknanad Life Changing Quotes: कुछ किस्से-कहानियां और विचार समय की बेड़ियों से आजाद होते हैं। कभी भी सुनो, उतने ही नए और प्रभावी लगते हैं। स्वामी विवेकानंद ने दशकों पहले जो कुछ कहा था, जो कुछ लिखा था, वे आज भी उतना ही प्रासंगिक है…या शायद पहले से ज्यादा प्रासंगिक है। ‘खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है’, ‘जैसा तुम सोचते हो वैसे ही बन जाओगे’। यह वाक्य आज भी आगे बढ़ने की उतनी ही प्रेरणा देते हैं, जितनी कल देते थे। आज जब लाइफ एक बिना ब्रेक के पहिये जैसी हो गई है, जहां हर कीमत पर बस दौड़ते ही जाना है। स्वामी विवेकानंद के इन शब्दों से साहस और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
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संघर्ष ही जीत और सफलता का आधार
‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’। ‘जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी’। इन वाक्यों में सफलता का मंत्र छिपा है। कई बार हम संघर्ष से सफलता के रिश्ते को नहीं पहचान पाते। हम ठहराव को तवज्जो देते हैं। बीच राह में मिलीं सहूलियतें हमारे संघर्ष की चेतना को मंद कर देती हैं और हम लक्ष्य भूल जाते हैं। अतीत के मुकाबले आज प्रतियोगिता ज्यादा है, पढ़ाई से लेकर नौकरी तक आगे आने के लिए सैंकड़ों लोगों को पीछे छोड़ना होता है। ऐसे में बड़ा संघर्ष ही बड़ी जीत दिला सकता है। जीतने और कुछ कर गुजरने की चाह ही सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है।
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सीखते रहना ही आगे बढ़ने की कुंजी
‘जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है’। इस वाक्य में महत्वपूर्ण सीख छिपी है। आज टेक्नोलॉजी के युग में जब हर पल दुनिया बदल जाती है, सीखते रहना बेहद जरूरी है। आप कभी भी परिपूर्ण या सर्वज्ञाता नहीं हो सकते। जहां आपने खुद को सर्वज्ञाता समझ लिया, यानी एक ऐसा व्यक्ति जिसे सबकुछ पता है, जो हर ज्ञान में महारत रखता है, वैसे ही आपके आगे बढ़ने की संभावनाओं पर विराम लग गया। सीखते रहना ही आगे बढ़ते रहने की संभावना को जीवित रखता है।
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सत्य ही सब कुछ, बाकी मिथ्या वहम
‘सत्य की ही विजय होती है, मिथ्या की नहीं’। ‘धीरे-धीरे सब होगा, वीरता से आगे बढ़ो’। वर्तमान युग में स्वामी विवेकानंद के इन वाक्यों की प्रासंगिकता और भी ज्यादा बढ़ गई है। आज आगे बढ़ने के लिए सही-गलत के भेद को अनदेखा कर दिया जाता है। कर्ण की तरह लक्ष्य पर नजर रखने वाले जल्द से जल्द उस तक पहुंचना चाहते हैं और इस चाहत में सही को गलत और गलत को सही करने से भी गुरेज नहीं करते, लेकिन गलत कदम ज्यादा समय तक सही नहीं रह सकता। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां गलत तरह से कमाई गई दौलत-शौहरत मिट्टी में मिल गई।
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कुछ भी बाहर नहीं, सब इंसान के अंदर
एक ही झटके में सफल या अमीर बनने की अभिलाषा, कई बार दुखद अंत पर खत्म होती है। इसलिए धीरे-धीरे कर्मठता और धैर्य से आगे बढ़ते रहना महत्वपूर्ण है। यही बात स्वामी विवेकानंद ने सालों पहले समझाई थी। ‘ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं, जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है’। स्वामी विवेकानंद के इस वाक्य में सम्पूर्ण सार छिपा है। आत्मविश्वास के बल पर असंभव नजर आने वाली दशरथ मांझी जैसी सफलता भी हासिल की जा सकती है। बगैर आत्मविश्वास के सम्पूर्ण संसाधनों के बावजूद 2 कदम आगे बढ़ पाना भी मुश्किल है।
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स्वामी विवेकानंद ज्ञान का सागर हैं और उनकी सीख वह अनमोल मोती, जिसे धारण करने मात्र से ही जीवन बदल सकता है और यह बदलाव आज के वक्त में और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।