मुख्यमंत्री फडणवीस राणाभीमदेवी की तरह केवल भाषण देते हैं, लेकिन वास्तव में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते, यह बार-बार दिख रहा है। औरंगजेब की कब्र को लेकर नागपुर में दंगे भड़क उठे। पुलिस पर हमले हुए। नागपुर में आगजनी की घटनाएं नागपुर का 300 साल का इतिहास है। इन 300 सालों में कभी दंगे नहीं हुए। तो अब यह विवाद क्यों भड़का? फडणवीस कहते हैं कि ये दंगाई बाहरी थे। बाहरी दंगाई शहर में आकर उपद्रव मचाने तक पुलिस क्या कर रही थी? गृह मंत्रालय के गुप्तचर सो रहे थे क्या? ऐसे प्रश्न निर्माण हो रहे हैं। फिरौती और हत्याओं का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। परभणी में भी दंगे हुए। कोकण में होली के त्योहार पर नवहिंदुत्ववादियों ने दंगे की चिंगारी भड़काई।
औरंगजेब की कब्र पर बवाल
राज्य के मंत्री धार्मिक द्वेष बढ़ाने वाले भाषण देते हैं और गृह मंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इसे राज्य चलाना नहीं कहते। महाराष्ट्र में औरंगजेब का महिमामंडन कोई नहीं करेगा। यहां केवल छत्रपति शिवाजी महाराज की ही जय-जयकार होगी। इसलिए ‘छावा’ फिल्म के प्रदर्शन के बाद से संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों और भाजपा के नवहिंदुत्ववादी तत्वों ने औरंगजेब की कब्र के खिलाफ राजनीतिक रौद्ररूप दिखाया और महाराष्ट्र का माहौल खराब कर दिया। औरंगजेब की कब्र को पूरी तरह से नष्ट करने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने आंदोलन करने की धमकी दी। कब्र हटाने के लिए कारसेवा शुरू करने की योजना की घोषणा की। वे औरंगजेब की कब्र की तुलना अयोध्या की बाबरी मस्जिद से कर रहे हैं। ये लोग कह रहे हैं कि बाबरी क तरह औरंगजेब की कब्र उखाड़ फेकेंगे।
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कब्र भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन
उसके लिए ये लोग कुदाल, फावड़ा, सब्बल, जेसीबी, बुलडोजर आदि जुटाने लगे हैं। यह सीधे-सीधे नौटंकी है। औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए यह तमाशा करने की जरूरत नहीं है। औरंगजेब कब्र के नीचे है और वह कभी उठकर बाहर नहीं आएगा। कब्र को फिलहाल केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा प्रदान है। यह कब्र भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन होने के नाते इनका बाप दिल्ली केंद्र में बैठा है। केंद्र को तुरंत यह सुरक्षा हटवानी चाहिए और कब्र को दिए गए संरक्षित स्मारक का दर्जा वापस लेना चाहिए, जिससे यह जमीन मुक्त हो जाएगी और संघर्ष की संभावना खत्म हो जाएगी। यहां कारसेवा की भी जरूरत नहीं होगी। बाबरी मस्जिद के समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की भाजपा सरकार थी, इसलिए संघर्ष हुआ।
छत्रपति शिवाजी महाराज से ज्यादा औरंगजेब महत्वपूर्ण
आज केंद्र में मोदी और महाराष्ट्र में फडणवीस हैं, दोनों भाजपा के हैं। श्री फडणवीस को अयोध्या में कारसेवा का अनुभव है। इसलिए खुद मोदी, फडणवीस, मोहन भागवत, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार इन पांच लोगों को हाथ में कुदाल-फावड़े लेकर सरकारी आदेश के तहत औरंगजेब की कब्र को खोदना चाहिए। इससे महाराष्ट्र में दंगे रुकेंगे और उन्मादियों के दिमाग शांत होंगे। फडणवीस आदि लोगों को छत्रपति शिवाजी महाराज से ज्यादा औरंगजेब महत्वपूर्ण लगता है, यह अब स्पष्ट हो गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज का राज धर्म पर आधारित था, लेकिन सभी को साथ लेकर चलने वाला था। यह विचार भाजपा को पहले भी मंजूर नहीं था और अब भी नहीं है। असल में छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज कभी भी संघ या भाजपा की विचारधारा के प्रतीक नहीं रहे। अब वे सुविधानुसार ‘जय शिवाजी’, ‘जय संभाजी’ कह रहे हैं। इन लोगों का उद्देश्य शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के महत्व को कम करना है।
इतिहास अपने आप नष्ट हो जाएगा
इसलिए छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज जिस खलनायक के खिलाफ लड़े और जिसे महाराष्ट्र में दफन किया, उस खलनायक औरंगजेब को पहले कब्र सहित खत्म करना है। खलनायक खत्म हुआ कि ‘नायक’ छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज भी अपने आप खत्म हो जाएंगे, यही इनकी चाल है। लोकसभा में भाजपा के ओडिशा के बारगढ़ से सांसद प्रदीप पुरोहित ने सार्वजनिक रूप से कहा, ‘हमारे शिवाजी मोदी हैं। मोदी पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी थे।’ तो अब भाजपा ने नए शिवाजी को जन्म दिया है और इसके लिए मूल शिवाजी को खत्म करने की उनकी योजना है। फिर छत्रपति शिवाजी महाराज को खत्म करना है तो पहले औरंगजेब की कब्र को ध्वस्त करना होगा। मतलब इतिहास अपने आप नष्ट हो जाएगा।
औरंगजेब के नाम पर आगजनी
महाराष्ट्र में ठीक यही घटित होता दिख रहा है। मोदी को छत्रपति शिवाजी घोषित करके जो महिमामंडन हो रहा है, वह भयानक है। छत्रपति के वंशज उदयनराजे (श्रीमंत) और शिवेंद्रराजे भोसले (श्रीमंत) को मोदी का छत्रपति शिवाजी महाराज वाला यह महिमामंडन मंजूर है? छत्रपति शिवाजी महाराज ने महाराष्ट्र में एकता बनाई। आज महाराष्ट्र बंटा हुआ है और धर्म के नाम पर धधक रहा है। कुरान की प्रति कहीं मिल जाए तो सम्मान से वापस करें, ऐसा छत्रपति शिवाजी महाराज का आदेश पत्र बताता है। लेकिन नागपुर में कुरान की आयतों को जलाने की घटना हुई। राजापुर में होली की लकड़ियां मस्जिद में फेंककर दंगे कराने की कोशिश हुई। महाराष्ट्र में औरंगजेब के नाम पर आगजनी शुरू है। चार सौ साल पहले दफनाया गया औरंगजेब फिर से जिंदा किया गया है। क्योंकि भाजपा के ‘पेट’ में नया ‘शिवाजी’ पल रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज, हमें माफ करें!
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