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क्यों अनुपम उदाहरण बन गया Maharashtra CM का शपथ ग्रहण समारोह? मन को छू गई ये पहल

Devendra Fadnavis Oath Ceremony: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह में एक नई परंपरा की शुरुआत की गई। दोनों उप-मुख्यमंत्रियों ने भी इस परंपरा का पालन किया। उम्मीद की जा रही है कि पूरा देश इस परंपरा का पालन करेगा और इसका महत्व समझेगा।

Edited By : Abhishek Mehrotra | Updated: Dec 6, 2024 13:47
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Devendra Fadnavis
शपथ ग्रहण समारोह में राजनीति और सिनेमा जगत की कई हस्तियां शामिल हुईं।

Maharashtra CM Oath Ceremony New Tradition: महाराष्ट्र को गुरुवार को अपना नया मुख्यमंत्री मिल गया। देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर से महाराष्ट्र के CM बने हैं, जबकि एकनाथ शिंदे और अजित पावर को उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली। मुंबई के आजाद मैदान में हुए इस शपथ ग्रहण समारोह में ऐसा बहुत कुछ देखने को मिला, जो हमेशा याद रहेगा। इस समारोह में जहां समय और संगठन की शक्ति का अहसास हुआ। वहीं, एक नई परंपरा की नींव भी रखी गई। महाराष्ट्र को संभालने वाले तीनों मंत्रियों ने शपथ के दौरान माता और पिता दोनों का नाम लिया। अमूमन ऐसा देखने को नहीं मिलता। गौरतलब है कि 8 महीने पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने ये नियम बनाया था कि सभी सरकारी दस्तावेजों में अमुक शख्स के नाम के बाद मां का नाम, फिर पिता का नाम और फिर सरनेम लिखा जाना अनिवार्य है। ऐसे में गुरुवार को जब शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्रियों ने इसी तरह से शपथ ली तो वाकई ये बात मन को छू गई।

 

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माता-पिता दोनों के योगदान को कमतर नहीं आंक सकते

संतान की उत्पत्ति में पिता के साथ-साथ मां का भी योगदान होता है। पिता यदि बच्चे की ढाल बनकर खड़ा रहता है तो मां उसे एक माली की तरह सींचती है। उसके पहली बार जमीन पर कदम रखने से लेकर दौड़ने तक, सबकुछ मां ही तो करती है, लेकिन अपने योगदान के अनुरूप मां को पहचान नहीं मिल पाती। बेटे के साथ पिता के नाम की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

कई मौकों पर कई लोगों ने इस परंपरा से विपरीत चलने की कोशिश की, यानी पिता की जगह मां का नाम लगाया, लेकिन यह भी तो 2 व्यक्तियों के योगदान को बराबर न आंकना ही हुआ ना? पौधा लगाने वाला और उसे पेड़ बनाने वाला, दोनों ही बराबर सम्मान के हकदार हैं। किसी के योगदान को कमतर करके नहीं आंका जा सकता। इसलिए जब बात पहचान की आती है तो दोनों का नाम साथ लिया ही जाना चाहिए। यही संदेश देने की कोशिश महाराष्ट्र से की गई है।

 

तीनों नेताओं ने अपने नाम संग माता-पिता का नाम लिया

मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करते समय देवेंद्र फडणवीस का- ‘मी देवेंद्र सरिताताई गंगाधरराव फडणवीस’, एकनाथ शिंदे का- ‘मी एकनाथ गंगूबाई संभाजी शिंदे’ और अजित पवार का- ‘मी अजित आशाताई आनंदराव पवार’ कहना एक नई और शुभ परंपरा की शुरुआत है। फडणवीस, शिंदे और पवार ने शपथ में माता-पिता दोनों का नाम शामिल करके वर्षों पुरानी एक पक्षीय परंपरा को तोड़ा, जिसे बहुत पहले टूट जाना चाहिए था। महाराष्ट्र प्रगतिशील राज्य और मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है।

ऐसे में यहां विकास ‘वंदे भारत’ की रफ्तार से दौड़ता है। जिस मुंबई से महाराष्ट्र का शासन चलता है, उसने अपनी आधुनिकता में सबको पछाड़ दिया है। फडणवीस, शिंदे और पवार की शपथ महाराष्ट्र की इसी पहचान से मेल खाती है। राजनीति से अलग हटकर ‘आधुनिक और प्रगतिशील’ सोच दर्शाने वाले प्रयास के लिए तीनों नेताओं की तारीफ की जानी चाहिए और उम्मीद की जानी चाहिए कि योगदान को बराबर सम्मान के महाराष्ट्र से निकले इस संदेश पर पूरा देश अमल करेगा।

 

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Edited By

Abhishek Mehrotra

First published on: Dec 06, 2024 12:41 PM

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