World Music Day 2025: दुनिया के लोगों को गाना सुनना उनका पसंदीदा काम होता है। लोग हर मौके जैसे कि सुख-दुख, तनाव, सेलिब्रेशन और सफर के दौरान गाना सुनना पसंद करते हैं। डॉक्टर भी गाने को कई बीमारियों में थेरेपी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 21 को दुनियाभर में विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है। कहा जाता है कि ये दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि म्यूजिक के पावर को पहचाना है। आइए जानते हैं कि इसकी शुरुआत कब हुई थी।
कैसे हुई शुरुआत?
कहा जाता है कि इस दिन को पहली बार 1982 में फ्रांस में मनाया गया था। वहां के कल्चर मिनिस्टर जैक लैंग और म्यूजिक डायरेक्टर मौरिस फ्लुरेट ने एक ऐसा दिन तय किया, जब हर कोई खुलकर म्यूजिक का आनंद ले सके। उन्हें लगा कि बहुत से लोग गाना जानते हैं लेकिन मंच नहीं मिल पाता है। इसके बाद से 21 जून को पहला विश्व म्यूजिक दिवस मनाया गया। ये तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि यह दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है यानी ‘समर सोल्सटाइस’। ये दिन लोगों को दिनभर म्यूजिक से जुड़ने का अवसर धीरे-धीरे यह उत्सव फ्रांस से निकलकर पूरी दुनिया में फैल गया। इस समय 120 से ज्यादा देश हर साल इस दिन को मनाते हैं।
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क्या है इस म्यूजिक का महत्व
म्यूजिक हमें मानसिक शांती देता है। संगीत सुनने से लोगों को मन को खुशी मिलती है। वहीं अगर आपका मुड खराब होता है और गाना सुनते हैं तो रिलेक्स फील होता है। इतना ही नहीं संगीत अकेलापन को भी दूर करता है। इस दिन को भारत ही नहीं इटली से लेकर ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, पेरू, ब्राजील, इक्वाडोर, मैक्सिको, कनाडा, जापान, चीन, मलेशिया जैसे तमाम जगहों पर मनाया जाता है।
इस दिन कई जगहों पर कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। संगीत से जुड़े कलाकारों को सम्मानित किया जाता है। लोग मिलकर गाना सुनते हैं और गाने पर डांस भी करते हैं। संगीत एंटरटेनमेंट का माध्यम ही नहीं, बल्कि यह देशों-दुनिया की संस्कृति को भी समझने का भी एक जरिया है।
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