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बस्तर की देवी सबसे पहले किन्नरों को देती हैं दर्शन, अनोखे रीति-रिवाजों के लिए मशहूर है यह मंदिर

Maa Danteshwari Temple: बस्तर की देवी, नवरात्रि पर मां दंतेश्वरी का पहला दर्शन किन्नर समाज करता है। इस मंदिर में सालों से निभाई जा रही हैं ये रस्में। जानिए मंदिर से जुड़ी और भी कई खास बातें।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Oct 3, 2024 12:28

Maa Danteshwari Temple: (आशुतोष तिवारी) देश में शारदीय नवरात्रि की धूम है। आज नवरात्रि का पहला दिन है, आज के दिन देश के सभी छोटे-बड़े मंदिरों में दुर्गा मां के शुभ आगमन के लिए जोरों-शोरों से तैयारियां की गई होंगी। हर मंदिर के अपने कुछ रीति-रिवाज होते हैं, जिनका सालों से पालन हो रहा है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी एक ऐसा मंदिर है जहां सालों से एक रिवाज का पालन किया जाता है। दरअसल, इस मंदिर में हर साल नवरात्रि से पहले देर रात किन्नर समाज ही मां दंतेश्वरी का पहला दर्शन करते हैं। इस साल भी बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के मंदिर में बुधवार और गुरुवार की आधी रात में किन्नर समाज द्वारा देवी मां के दर्शन करने सबसे पहले किन्नर पहुंचे थे। इसके बाद से ही मां दंतेश्वरी के दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है।

किन्नरों द्वारा होता है मां का श्रृंगार

इस प्राचीन मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर एक रात पहले देवी मां के दर्शन सबसे पहले किन्नरों को होते हैं। इसके साथ-साथ किन्नर समाज सबसे पहले मां का श्रृंगार करते हैं। किन्नरसमाज मां दंतेश्वरी को चुनरी चढ़ाता है। देर रात किन्नर समाज देवी मां के साज-श्रृंगार के साथ यात्रा करते हैं, जिसे श्रृंगार यात्रा भी कहा जाता है। सुबह 4 बजे जैसे ही मंदिर के कपाट खुलते हैं, किन्नर समाज दर्शन करता है और मां का श्रृंगार करता है।

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कहां-कहां से निकलती है यात्रा?

किन्नर समाज की अध्यक्ष रिया परिहार ने बताया कि कि हर साल किन्नरों के श्रृंगार यात्रा में जगदलपुर के अलावा पड़ोसी राज्य उड़ीसा से भी किन्नर यात्रा में शामिल होने के लिए बस्तर पहुंचते हैं। इसके अलावा बस्तर के लोग भी भव्य यात्रा को लेकर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यात्रा के लिए किन्नर भी साज-श्रृंगार करते हैं। रिया परिहार बताती हैं कि इस रिवाज के पीछे उनका उद्देश्य है कि सभी व्यापारियों व बस्तरवासियों पर किसी तरह की कोई समस्या ना आए और किसी की गोद खाली ना रहे। इसलिए, वे हर साल मां दंतेश्वरी से प्रार्थना करने पहुंचते हैं।

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दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

नवरात्रि पर छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड जैसे राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालू यहां मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। कहते हैं, देवी मां कभी भी किसी को खाली हाथ नहीं भेजती हैं। इस मंदिर में दर्शन के साथ-साथ चढ़ावा भी दिल खोलकर चढ़ाया जाता है।

मंदिर की खासियत?

यह मंदिर देवी सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां देवी सती का दांत गिरा था, इसलिए मंदिर का नाम मां दंतेश्वरी पड़ा था। इस मंदिर में तीन नवरात्रियां मनाई जाती हैं: चैत्र, शारदीय और फाल्गुन मास की नवरात्रि। यहां दशहरे का पर्व   भी 75 दिनों तक चलता है।

कैसे पहुंचे मंदिर?

दंतेश्वरी मंदिर के सबसे निकट जगदलपुर रेलवे स्टेशन है। हवाई मार्ग से आने वाले लोग विशाखापटनम एयरपोर्ट पहुंच सकते हैं। यहां से मंदिर 400 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर का पूरा पता है- वार्ड नंबर-5, दांतेश्वरी वॉर्ड, जय स्तम्भ चौक, मेन रोड, दंतेवाडा, छत्तीसगढ़।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

 

First published on: Oct 03, 2024 12:28 PM

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