गुरु पूर्णिमा के दिन लोग सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं और गुरु के चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं। इसके साथ ही कई लोग व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं या फिर अपने गुरु के उपदेशों को दोहराते हैं। कई स्थानों पर गुरु पूजा और आध्यात्मिक प्रवचन का आयोजन भी किया जाता है। अगर आपके पास कोई गुरु नहीं है तो आप इस दिन अपने माता-पिता, बड़े-बुज़ुर्गों का आशीर्वाद ले सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि आप क्यों मनाया जाती है गुरु पूर्णिमा
क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?
गुरु हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। गुरुओं का मार्गदर्शन हर व्यक्ति के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है। गुरु पूर्णिमा का महत्व हमारे जीवन में अत्यंत गहरा है। यह दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने वेदों का विभाजन किया और महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की। उन्हें आदि गुरु माना जाता है। इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु न केवल ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन को सही दिशा भी दिखाते हैं। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा को ज्ञान, सम्मान और आत्मचिंतन का पर्व माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा का आधुनिक महत्व
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में गुरु पूर्णिमा एक ठहराव जैसा दिन होता है, जब हम उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने हमें जीवन जीने का सही तरीका और उसका महत्व सिखाया है। इसके साथ ही अच्छे-बुरे की पहचान कराई है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्व-अवलोकन (self reflection) और आभार (thankfulness) के लिए भी विशेष होता है। इस दिन आप अपने माता-पिता को भी आभार प्रकट करें क्योंकि जीवन में लाने वाले पहले अक्षर सिखाने वाले माता-पिता ही गुरू समान होते हैं।
घर में कैसे मनाएं गुरु पूर्णिमा?
अगर आप गुरू पूर्णिमा घर पर मनाना चाहते हैं तो इस दिन अपने गुरुओं से मिलकर उनका आशीर्वाद अवश्य लें। अगर मिलना संभव न हो तो थोड़ा सा टाइम निकाल कर याद से उन्हें कॉल करके धन्यवाद जरूर कहें। इस दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं। साथ ही अपने बच्चों को भी इस दिन का महत्व अवश्य बताएं जिससे वे गुरु के योगदान और भूमिका को समझ सकें।
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