अमरनाथ की गुफा में बनने वाले प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्तों की हर साल भारी भीड़ उमड़ती है। इन्हें बाबा बर्फानी और अमरेश्वर नाम से भी जाना जाता है। हर साल लोग हिमालय में स्थित पवित्र गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए मुश्किल तीर्थयात्रा तय करते हैं। अमरनाथ की गुफा समुद्र तल से लगभग 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए यह यात्रा काफी मुश्किल होती है। ऐसे में अगर आप भी इस यात्रा का प्लान बना रहे है, तो जानते हैं कि अमरनाथ यात्रा का इतना महत्व क्यों है?
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 15 मार्च से शुरू हो चुकी है और इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगी। यात्रा दो रूट- पहलगाम और बालटाल से होगी। लगभग 6 लाख श्रद्धालु यात्रा पर आ सकते हैं। 5 मार्च को श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) की 48वीं बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यात्रा की तारीखों की घोषणा की थी। बैठक में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बेहतर करने के कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई।
ये भी पढ़ें: सावधान! क्या आपके घर में भी लगी है मां लक्ष्मी की ऐसी फोटो? गलत तस्वीर ला सकती है दरिद्रता
क्यों खास है ये गुफा
पौराणिक कथा के अनुसार, इसी पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी, जिसे वहां मौजूद एक कबूतर के जोड़े ने सुन लिया था। कहा जाता है कि वह कबूतर का जोड़ा आज भी गुफा में स्थित है, जो अमर पक्षी के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा पूर्वक अमरनाथ की यात्रा और बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुलते हैं।
अमरनाथ यात्रा का महत्व
शास्त्रों व पुराणों के अनुसार, अमरनाथ यात्रा से साधक को 23 तीर्थों के दर्शन करने जितना पुण्य प्राप्त होता है। वहीं बाबा अमरनाथ के दर्शन से काशी में दर्शन का दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना अधिक पुण्य मिलता है। इसके महत्व को देखते हुए यह कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार अमरनाथ यात्रा जरूर करनी चाहिए।
ये भी पढ़ें: इन 4 तारीखों में जन्मे व्यक्ति होते स्वभाव से सरल और धुन के पक्के, मंजिल पाकर ही लेते दम