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नोक-झोंक: अकबर ने दरबारियों से पूछा- किस किस ने शेर का शिकार किया है ? सबने कहा- हमने किया…जानें बीरबल ने क्या जवाब दिया ?

Akbar Birbal ki Nok Jhok: बादशाह अकबर जिस दिन खुश होते, उसी दिन शाही बगीचे में ‘फुरसती दरबार’ का आयोजन किया जाता था। इसमें न कोई छोटा होता, न कोई बड़ा। बादशाह कोई शगूफा छोड़ते और दरबारी उस पर अक्ल के घोड़े दौड़ाते। एक दिन बादशाह ने अपने दरबारियों से पूछा- “आपमें से किस-किस ने […]

Edited By : Sudhir Shukla | Updated: Mar 25, 2023 16:48
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Akbar Birbal ki Nok Jhok:

Akbar Birbal ki Nok Jhok: बादशाह अकबर जिस दिन खुश होते, उसी दिन शाही बगीचे में ‘फुरसती दरबार’ का आयोजन किया जाता था। इसमें न कोई छोटा होता, न कोई बड़ा। बादशाह कोई शगूफा छोड़ते और दरबारी उस पर अक्ल के घोड़े दौड़ाते। एक दिन बादशाह ने अपने दरबारियों से पूछा- “आपमें से किस-किस ने शेर का शिकार किया है?” सबने कहा- “हमने किया, हमने किया।” बादशाह ने कहा- “किया है, तो बताओ कैसे किया?”

पहला नंबर खां साहेब का आया। वह बोले-“शेर का शिकार करते. का मेरा पहला मौका था। जिस मचान पर में बैठा था, कमबख्त शेर उसी पर आ कूदा। मचान टूट गई। धम्म से में नीचे गिरा। दिल ने कहा- ‘आज त तू गया शेर के पेट में।’ दिमाग ने कहा-‘मगर शेर है कहाँ?’ तभी ऊपर से शेर की मिमियाती आवाज आई। बमुश्किल आँखें खोलीं। देखा, शेर मिया पेड़ से उलटे लटके हैं। उनकी पूँछ टूटी मधान के खांचे में फंसी है और वह बुरी तरह हाथ-पैर मार रहे हैं। अपनी गनीमत जान, मैंने उठाई तलवार और चला दी।”

“यह भी कोई शिकार हुआ!” बादशाह बोले-“चूहेदानी में फंसे चूहे को तो कौआ भी मार सकता है।”
दूसरा नम्बर मिर्जा का आया। मूंछों पर ताव देते हुए वह बोले-“एक
दिन में शिकार खेलने गया। मैं घूमता-घूमता परेशान हो गया।

सामने गीदड़ तक नहीं आया। थोड़ा दम लेने के लिए पेड़ के तने से पीठ सटाकर बैठा ही था कि तभी नींद आ गई। अचानक नाक में कुछ घुसा। जोर की छींक आई, तो नींद टूट गई। सामने जो देखा, तो होश फाख्ता हो। गये। दो कदम की दूरी पर शेर खड़ा था। मारे भय के मैंने आँखें बंद कर ।। वह फिर पास आकर मुझे सूंघने लगा।

शायद जानने की कोशिश कर रहा था कि में मुर्दा हूँ अथवा जिंदा? तभी उसकी मूंछें मेरी नाक में फिर घुसीं मुझे दोबारा जोर की छींक आई। उछलकर शेर फिर दो कदम पीछे हट गया। इस बार वह पूरा जबड़ा फाड़े हुए था। मानो कह रहा हो-‘जिंदा हो मियां ! तो आओ, मेरे गले के रास्ते पेट में उत्तर जाओ।’

मैंने आव देखा न ताव! उठाई तलवार और तेजी से उसकी तरफ बढ़ा। शेर घबराकर पीछे हटने लगा। आखिर वह ऐसे मुकाम पर जा पहुँचा, जहाँ पीछे गहरी खाई थी। यह देखकर मैंने तलवार की नोक उससे छुआ दी और वह घबरा गया। तेजी से पीछे हटा और खाई में जा गिरा। गनीमत यह हुई कि मैंने सही समय पर खुद को संभाल लिया, वरना… ” “वरना आप भी उस खाई को आबाद कर देते।” बादशाह ने कहा- “मगर इसे शिकार कौन कहेगा! असली शिकार तो वह है, जो दो-दो हाथ करके आमने-सामने की घर-पटक में किया जाए।”

इतना सुनकर मिर्जा का चेहरा उतर गया। अचानक पीछे से सत्तर साल के एक बूढ़े मौलाना की आवाज उभरी – “बादशाह सलामत ने अभी कहा कि असली शिकार वह जिसमें आमने-सामने की लड़ाई में शेर को मात दी जाए। मेरे साथ तीस-बत्तीस बरस पहले ऐसा ही वाकया पेश आया था।”
अकबर बादशाह चकित होकर बोले-“अच्छा!”
..“हाँ जहाँपनाह!” मौलाना ने कहा- “उन दिनों शेरगढ़ का इलाका घने जंगलों से भरा पड़ा था।”

दिल्ली में एक अफवाह फैली थी कि उन जंगलों में एक टीला है, जिसमें बेशुमार दौलत छिपी है। एक दिन मैं और मेरे कुछ दोस्त उस टीले की तलाश में जंगल में जा घुसे। कुछ ही दूर गए थे कि हमने शेर की दहाड़ सुनी। हम सब सिर से पैर तक कांप उठे। सबके सब वापस भाग लिए। मैंने भी भागना चाहा, लेकिन भाग न सका। सामने से शेर जो आ रहा था। ये नुकीले दाँत, ये लम्बे-लम्बे नाखून, खून बरसाती उसकी आँखें। होश गुम होते, इससे पहले ही मैं उलटे पैरों दौड़ लिया। मैं आगे-आगे, शेर मेरे पीछे-पीछे।

रास्ते में कीचड़ से भरा एक पोखर था। बदहवासी में मैं उसे देख नहीं पाया और जा गिरा उसमें ।
देर तक कीचड़ में गोते खाता रहा। कीचड़ से सराबोर आँखों को जोर लगाकर खोलते हुए सामने देखता रहा। सोचता रहा-‘शेर कहाँ चला गया?’
पौन घंटे तक शेर नहीं आया, तो मैं जैसे-तैसे पोखर से बाहर आया। मुझ पर मेरे अपने वजन से दोगुना कीचड़ लिपटा था। चल भी बहुत मुश्किल से रहा था कि देखा-
शेर पोखर के पास एक झुरमुट में बैठा, मुझे घूर रहा है। शायह वह यह पहचानने की कोशिश कर रहा था कि यह है कौन? वह तो यकीनन नहीं, जिसके पीछे मैं भागा था।
सहसा शेर ने मुँह फाड़ा। मुझे लगा कि गश खाकर गिर पडूंगा। ऐसी सूरत में सहारे के लिए कीचड़ लिपटे दोनों हाथ आगे को जो उठे, शेर एकदम उछला और भाग खड़ा हुआ।”
“आमना-सामना बेशक हुआ।” बादशाह अकबर ने कहा- “लेकिन
कुश्ती तो नहीं हुई।”

अचानक उनकी निगाह बीरबल की और उठ गई। उसे उकसाते । बादशाह बोले- “क्यों बीरबल! क्या तुम्हारा कभी किसी शेर से आमना-सामना हुआ है? या कुश्ती!”
“आमना-सामना तो तकरीबन रोज ही होता है जहाँपनाह!” बीरबल बोला- “रही कश्ती की बात, तो वह बादशाह सलामत के हाथ में है जब मर्जी हो जायेगी।”
बादशाह बड़े जोर से हँसे। बोले-

“बीरबल, तुम हमेशा सारी तोहमत हम पर थोपकर साफ बच निकलते. हो, लेकिन आज नहीं निकल पाओगे। शेर के शिकार के बारे में या तो आपबीती सुनाओ या फिर इकरार करो कि तुमने जिंदगी में कोई शेर नहीं मारा।”
“शेर तो मैंने कई मारे हैं।” बीरबल बोला- “मगर आपको इस पर विश्वास नहीं आएगा और एक दफा तो ऐसा गजब का वाकया हुआ कि हो सकता है, आपको यह किस्सा-कहानी ही लगे ।”
“क्या मतलब?” बादशाह ने चौंककर पूछा।

बीरबल सिर झुकाकर बोला- “हुजूर, वे दोनों शेर गुजरात के जंगलों में सेमल के किसी पेड़ से अब भी लटके होंगे। मैं वहाँ एक अंधेरी रात में बादशाह सलामत के साथ भटक रहा था कि अचानक मैंने शेर की दहाड़ सुनी। बादशाह अपनी तलवार तंबू में भूल आए थे और हम दोनों तंबू खोज नहीं पा रहे थे। उधर दहाड़ थी कि बराबर पास आये जा रही थी। तलवार सिर्फ मेरे पास थी।

एक बार सोचा- ‘कहीं झाड़ी-बाड़ी में छिप जाएँ!’ फिर एक ख्याल आया कि शेर. अंधेरे में इंसान की तरह अंधा नहीं बन जाता। आखिर हम दोनों सेमल के एक पेड़ पर चढ़ गए। बादशाह को मैंने ऊपर की शाख पर बैठा दिया। नंगी तलवार ले, मैं नीचे की शाख पर जमकर बैठ गया।

मुँह फाड़े, दुम ताने हुए शेर आया। आँखें मशाल की तरह चमक रही थीं। आया और लगा पेड़ पर चढ़ने लगा।” बादशाह बोले- “या खुदा, रहम कर!”
“मगर वह मौका रहम का नहीं था। मैंने तलवार आँखों के अंदाजे से कई भरपूर वार कर डाल। धम्म से कोई नीचे गिरा। मैं घुमाई और टिमटिमाती -घबरा गया। ऊपर देखा… यकीनन गिरने वाले बादशाह सलामत नहीं थे।
फिर वहाँ शांति छा गई। सवेरे देखा, तो शेर तीन टुकड़ों में धरती पर पड़ा था।”

बीरबल कुछ और कहता, इससे पहले ही बादशाह बोला- “और अगर उस मौके पर तुम्हारे पास भी तलवार न होती, और पेड़ पर चढ़ने से पहले ही शेर मुझ पर हमला कर देता, तब तुम क्या करते?”

“मैं क्या करता जहाँपनाह!” बीरबल गमगीन शब्दों में बोला- “ऐसे मौके पर या तो खुदा ही कुछ करता या फिर वह नामुराद शेर !”

बीरबल की बात सुनकर सभी हँस पड़े। ‘फुरसती दरबार’ खत्म होने का नगाड़ा बज चुका था।

First published on: Mar 25, 2023 04:47 PM

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