Sweating on Nose: सामुद्रिक शास्त्र केवल शारीरिक संरचना ही नहीं, बल्कि शरीर के अंगों के अध्ययन से भावनाओं, ऊर्जा और विचारों को भी जानने का माध्यम है। वहीं आयुर्वेद, योग और ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि शरीर का हर भाग और अंग जैसे कि आंख, माथा, नाखून और यहां तक कि नाक पर पसीना आना भी कई रहस्य उजागर करता है और कोई-न-कोई गूढ़ संकेत देता है। अक्सर नाक पर अचानक पसीना आने को कई बार लोग सामान्य समझ लेते हैं, लेकिन सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष इसे कुछ अलग ही रूप में देखता है।
नाक पर पसीना क्यों आता है?
यह देखा गया है की नाक पर पसीना आमतौर पर तब आता है, जब शरीर का तापमान बढ़ता है। जब जीवन में तनाव अधिक होता है या कोई आंतरिक ऊर्जा जाग्रत हो रही होती है, तब भी नाक पर पसीना आता है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, यूं तो यह एक शारीरिक प्रक्रिया हो है, लेकिन जब यह बार-बार और विशेष परिस्थितियों में हो, तो इसे केवल शारीरिक घटना न मानकर सूक्ष्म संकेत के रूप में देखना चाहिए।
नाक का स्थान और महत्व
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, चेहरे का हर अंग भविष्य, स्वभाव और भाग्य की कुछ झलक देता है। नाक को इस शास्त्र में स्वाभिमान, आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति और निर्णय-शक्ति का प्रतीक माना गया है। कहते हैं, नाक जितनी उन्नत, स्पष्ट और स्थिर होती है, व्यक्ति उतना ही आत्मविश्वासी और नेतृत्व क्षमता वाला होता है।
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सामुद्रिक शास्त्र का दृष्टिकोण
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, यूं तो नाक पर पसीना आना एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन जब यह बार-बार और विशेष परिस्थितियों में हो, तो इसे केवल शारीरिक घटना न मानकर सूक्ष्म संकेत के रूप में देखना चाहिए। इस शास्त्र के अनुसार:
आंतरिक चिंता या दबाव का संकेत: यह दिखाता है कि व्यक्ति बाहर से शांत है, लेकिन अंदर ही अंदर किसी मानसिक या भावनात्मक दबाव से गुजर रहा है।
महत्वपूर्ण निर्णय से पहले का संकेत: ऐसा भी माना जाता है कि जब व्यक्ति के जीवन में कोई बड़ा निर्णय या मोड़ आने वाला होता है, तब नाक पर बार-बार पसीना आना शुरू हो जाता है।
साहस और जोखिम उठाने की प्रवृत्ति: नाक पर पसीना ऐसे लोगों में अधिक देखा जाता है जो कठिन परिस्थितियों में भी निर्णय लेने का साहस रखते हैं, लेकिन अंदर से थोड़े असमंजस में रहते हैं।
अनियंत्रित ऊर्जा या प्रबल इच्छा शक्ति: यह संकेत करता है कि व्यक्ति के भीतर बहुत ऊर्जा है जिसे सही दिशा नहीं मिली है। इस स्थिति में वह किसी काम को लेकर बहुत उत्साहित या अधीर हो सकता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से संकेत: कुछ आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाक पर पसीना आना शरीर में ऊर्जा असंतुलन या तीव्र प्राणशक्ति का संकेत होता है, खासकर यदि यह ध्यान या भक्ति के समय होता है।
क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?
आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में नाक का संबंध बुध और मंगल दोनों ग्रहों से माना गया है। बुध बुद्धि, विचारों की तीव्रता और संचार का कारक है, तो मंगल ऊर्जा, साहस, रक्त और अग्नि तत्व का कारक है। नाक पर पसीना आना दर्शाता है कि मंगल की ऊर्जा असंतुलन में है या बुध ग्रह अत्यधिक सक्रिय हो गए हैं। यदि यह स्थिति बार-बार होती है, तो यह संकेत होता है कि इन दोनों ग्रहों को संतुलित करने की आवश्यकता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।










