दिल्ली सरकार को शहर में कृत्रिम बारिश कराने की इजाजत मिल गई है. अब दिल्ली में अक्टूबर और नवंबर महीने में दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. इसका मकदम दिल्ली में प्रदूषण को कम करना है. प्रदूषण पर कंट्रोल करने और उसे रोकने के लिए दिल्ली सरकार को कृत्रिम बारिश कराने की मंजूरी दी गई है.
दिल्लीवासियों को ठंड में जल्द ही हवा में मौजूद जहरीली हवा से राहत मिल सकती है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर को दिल्ली में प्रोटोकॉल का पालन करते हुए क्लाउड सीडिंग की अनुमति दे दी है. DGCA ने अपने बयान में बताया है कि क्लाउड सीडिंग की शुरुआत 1 अक्टूबर 2025 से होगी. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आईआईटी कानपुर और संबंधित अधिकारियों के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं.
कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया 10 अक्टूबर से शुरू होकर 11 नवंबर तक चलेगी, यानी यह प्रक्रिया एक महीने तक चलने वाली है. डीजीसीए ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस अवधि के दौरान विमान और चालक दल, इंजीनियर डीजीसीए की निगरानी में रहेंगे और पायलटों के पास नए कमर्शियल लाइसेंस और मेडिकल फिटनेस रखना अनिवार्य है.
इस परियोजना में कुल 5 ट्रायल उड़ानें होंगी. हर उड़ान 90 मिनट की होगी और 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगी. पहले चरण का ट्रायल उत्तरी दिल्ली के इलाके में होगा. क्लाउड सीडिंग के लिए एक खास विमान तैयार किया गया है, यह विमान हवा में नैनो सिल्वर आयोडाइड और नमक के मिश्रण का छिड़काव करेगा.
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DGCA ने इसके लिए कई तरह के शर्तें रखीं हैं. जैसे अगर किसी भी नियम का उल्लंघन होता है तो इसकी सूचना तत्काल नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को देनी होगी. विमान के क्रू में कोई भी विदेशी नागरिक नहीं होगा. एरियल वीडियोग्राफी (हवाई वीडियो रिकॉर्डिंग) नहीं की जानी चाहिए. जिन इलाकों के लिए मंजूरी मिली है, सिर्फ वहीं पर क्लाउड सीडिंग की जा सकेगी.