सांप का नाम सुनते ही कई लोग घबरा जाते हैं और अगर वो सामने आ जाए, तो डर से कुछ सूझता ही नहीं। सांप का काटना जानलेवा साबित हो सकता है अगर सही समय पर इलाज न मिले। लेकिन एक सवाल हमेशा उठता है, जब इतने खतरनाक सांप बड़े-बड़े जानवरों को मार सकते हैं, तो नेवला कैसे बच जाता है? आइए जानते हैं…
सांप के जहर से कैसे बचता है नेवला?
नेवला और सांप की दुश्मनी तो काफी पुरानी है। अक्सर आपने देखा या सुना होगा कि नेवला, सांप से लड़ाई करता है और जीत भी जाता है। सांप का जहर इतना घातक होता है कि बड़े जानवर भी इसकी चपेट में आकर मर जाते हैं, लेकिन नेवले पर इसका कोई खास असर क्यों नहीं होता? दरअसल, नेवले के शरीर में एक खास तरह का प्रोटीन होता है, जिसे एसिटाइलकोलिन (nicotinic acetylcholine receptor) कहते हैं। ये प्रोटीन सांप के जहर के न्यूरोटॉक्सिक असर को कम कर देता है, जिससे नेवला जहर के बावजूद जीवित रह पाता है। इसे सांप के जहर से “इम्यून” कहा जा सकता है। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि नेवला हर बार जीत ही जाता है। कई बार सांप भी नेवले पर भारी पड़ जाता है, खासकर तब जब नेवला कमजोर हो या सांप ज्यादा ताकतवर हो।
नेवला और सांप की दुश्मनी क्यों?
आपने सुना होगा कि नेवला और सांप एक-दूसरे के जानी दुश्मन होते हैं। लेकिन असल में, नेवला सांप का शिकार सिर्फ अपनी भूख मिटाने के लिए करता है। इंडियन ग्रे मॉन्गूस, जिसे भारत में सबसे खतरनाक माना जाता है, यहां तक कि किंग कोबरा जैसे खतरनाक सांपों को भी मार सकता है। लेकिन नेवला कभी खुद पहले हमला नहीं करता, वो खुद को या अपने बच्चों को बचाने के लिए ही लड़ाई में उतरता है।