India’s only male river: भारत में सभी नदियों को माता का दर्जा दिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक नदी ऐसी भी है, जिसे ‘मां’ नहीं, बल्कि ‘पिता’ कहा जाता है? यह नदी नारी रूप में नहीं, बल्कि पुरुष के रूप में पूजी जाती है। आखिर क्यों इस नदी को देवी के बजाय देवता माना गया? इसके पीछे की मान्यताएं क्या हैं? यह नदी कहां से निकलती है और किन राज्यों से होकर बहती है? आइए जानते हैं…
भारत की एकमात्र पुरुष नदी
भारतीय संस्कृति में नदियों को देवी स्वरूप माना जाता है और उनकी माता के रूप में पूजा की जाती है। गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी जैसी सभी नदियों को ‘मां’ कहा जाता है, लेकिन एक नदी ऐसी भी है जिसे माता नहीं, बल्कि पिता माना जाता है। यह नदी है ब्रह्मपुत्र, जिसे भारत की एकमात्र पुरुष नदी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मपुत्र को भगवान ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है, इसलिए इसे ‘पुरुष’ नदी का दर्जा प्राप्त है। असम और अरुणाचल प्रदेश में इस नदी की विशेष पूजा की जाती है।
ब्रह्मपुत्र नदी की लंबाई और किस राज्य में बहती है
ब्रह्मपुत्र नदी की लंबाई लगभग 2900 किलोमीटर है और यह तिब्बत के मानसरोवर झील के पास चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है। यह नदी तिब्बत, भारत और बांग्लादेश से होकर गुजरती है। भारत में यह असम और अरुणाचल प्रदेश में बहती है, जहां इसे “पुरुष नदी” के रूप में पूजा जाता है। इसकी गहराई लगभग 140 मीटर है, जो इसे भारत की सबसे गहरी नदी बनाती है। ब्रह्मपुत्र नदी असम में कई जगहों पर बहुत चौड़ी हो जाती है, जिससे यह भारत की सबसे चौड़ी नदी भी बन जाती है।
ब्रह्मपुत्र का धार्मिक और आर्थिक महत्व
ब्रह्मपुत्र नदी केवल हिंदू धर्म के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र मानी जाती है। यह नदी असम की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके किनारे बसे शहरों और गांवों की जल आपूर्ति इसी पर निर्भर करती है। साथ ही यह नदी खेती, व्यापार और परिवहन के लिए भी बहुत उपयोगी है। हालांकि बारिश के मौसम में यह नदी भयंकर बाढ़ भी लाती है, जिससे असम और आसपास के इलाकों में भारी तबाही मचती है। इसके बावजूद, ब्रह्मपुत्र को एक पवित्र और जीवनदायिनी नदी के रूप में देखा जाता है, जिसकी पूजा पिता के रूप में की जाती है।