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क्या जानवरों को भी आते हैं सपने? वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा

क्या जानवर भी हमारे जैसे सपने देखते हैं? ये सवाल सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन जवाब है हां। हाल की रिसर्च ने यह साबित कर दिया है कि कुत्ते, बिल्लियां और कुछ पक्षी भी सपने देखते हैं। आइए जानते हैं जानवरों की इस रहस्यमयी सपनों की दुनिया के बारे में।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Apr 17, 2025 15:10
Animal Dreams
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क्या आपने कभी अपने पालतू कुत्ते या बिल्ली को सोते समय अचानक पंजे हिलाते, हल्के-हल्के भौंकते या म्याऊं करते हुए देखा है? ऐसा लगता है जैसे वो किसी अनदेखी दुनिया में खोए हुए हों शायद किसी सपने में। यह सोचने वाली बात है कि क्या जानवर भी सपने देखते हैं, जैसे हम इंसान देखते हैं? बहुत से लोग इसे सिर्फ एक संयोग मानते हैं, लेकिन अब विज्ञान ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है। वैज्ञानिकों ने सालों की रिसर्च के बाद यह पाया है कि जानवर भी सपनों की दुनिया में जाते हैं। खासकर वे जानवर जो इंसानों के करीब रहते हैं जैसे कुत्ते और बिल्लियां उनमें यह बात ज्यादा दिखाई देती है। जब ये गहरी नींद में होते हैं तो उनका दिमाग भी सक्रिय हो जाता है, ठीक वैसे ही जैसे इंसानों का होता है। इसी समय वे सपने देखते हैं। शायद वे अपने दिनभर के खेल, शिकार या भागदौड़ को फिर से जीते हैं अपने सपनों में। इस बात को जानना न केवल दिलचस्प है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जानवरों की भावनाएं और अनुभव इंसानों से कितने मिलते-जुलते हैं। आइए जानते हैं विज्ञान क्या कहता है इस अनोखी दुनिया के बारे में।

वैज्ञानिकों रिसर्च का खुलासा

अगर आपके पास कोई कुत्ता या बिल्ली है, तो आपने उन्हें नींद में अचानक चौंकते, भौंकते या पंजे हिलाते देखा होगा। कभी-कभी कुत्ते सोते हुए गुर्राते हैं या दौड़ने की एक्टिंग करते हैं। ऐसा लग सकता है जैसे वे किसी का पीछा कर रहे हों या किसी खतरे से डर गए हों। बहुत से लोगों को यह सामान्य लगता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने इस रहस्य पर रिसर्च करके साबित किया है कि इंसानों की तरह जानवर भी सपने देखते हैं। यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने भी अपने समय में कहा था कि जानवर सपने देखते हैं। आज के वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से यह बात और साफ हो गई है कि जानवरों का दिमाग भी नींद के दौरान सक्रिय रहता है और वे अपने दिन के अनुभवों को दोबारा अनुभव करते हैं।

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जानवरों की नींद और REM स्टेज का संबंध

1950 के दशक में वैज्ञानिकों ने REM (रैपिड आई मूवमेंट) नींद की खोज की, जो वह अवस्था होती है जब इंसान सपने देखते हैं। इस दौरान आंखें तेजी से हिलती हैं, शरीर हलचल करता है और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। यही अवस्था जानवरों में भी पाई गई है, जिससे यह साबित होता है कि वे भी सपने देख सकते हैं। बिल्लियों, चूहों और पक्षियों पर किए गए प्रयोगों से पता चला है कि जानवर भी सपनों में दौड़ते हैं, गाते हैं और दुश्मनों से लड़ते हैं। वैज्ञानिकों ने EEG मशीन की मदद से जानवरों के मस्तिष्क की गतिविधियों को मापा और पाया कि उनकी नींद में वही पैटर्न दोहराए जाते हैं जो जागते समय देखे गए अनुभवों से जुड़े होते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि जानवर भी सपनों में वही सब महसूस करते हैं जो दिन में देखा या किया।

जानवरों के सपनों से जुड़े अनोखे उदाहरण

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने मिलकर कुछ खास जानवरों पर रिसर्च की। उदाहरण के लिए, एक रिसर्च में देखा गया कि जेब्रा फिंच नामक पक्षी सोते हुए भी वही गीत दोहराते हैं जो वे दिन में गाते हैं। चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि वे सपनों में भूल-भुलैया जैसी जगहों की खोज करते हैं। फ्रांसीसी वैज्ञानिक मिशेल जोवैट ने बिल्लियों पर ऐसा प्रयोग किया जिसमें नींद के दौरान मांसपेशियों को हिलने से रोकने वाली नसों को काट दिया गया। इसके बाद बिल्लियां सपने में चलने लगीं और काल्पनिक दुश्मनों से लड़ती दिखीं। यह रिसरर्च दिखाता है कि जानवरों का दिमाग सपनों में कितना एक्टिव रहता है। यहां तक कि कुछ वैज्ञानिकों ने मकड़ियों (जंपिंग स्पाइडर) पर भी अध्ययन शुरू किया है ताकि यह समझा जा सके कि क्या कीड़े-मकोड़े भी सपने देखते हैं।

क्या सभी जानवर सपने देखते हैं?

सभी जानवर सपने नहीं देखते। वैज्ञानिकों के अनुसार, केवल वही जानवर REM नींद में जाते हैं जो थोड़े मुश्किल दिमाग वाले होते हैं, जैसे कुत्ते, बिल्ली और बंदर कुछ पक्षी जैसे कबूतर, तोता और गिरगिट। दूसरी ओर जैसे डॉल्फिन एक आंख खोलकर सोती हैं, इसलिए उनका दिमाग एक साथ पूरी तरह से नहीं सोता। इसी वजह से उनके सपनों पर रिसर्च करना कठिन है। कुछ जानवर जैसे कोआला, तो दिन के 20 घंटे सोते हैं, लेकिन इस बात के प्रमाण नहीं हैं कि वे सपने भी देख पाते हैं या नहीं। मकड़ियों और मछलियों जैसे जीवों में सपने देखने की संभावना कम मानी जाती है, लेकिन इन पर अभी और रिसर्च चल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ेगी, हम जानवरों के सपनों को और गहराई से समझ पाएंगे।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Apr 17, 2025 12:30 PM

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