Jobs Vacancy: देश की अर्थव्यवस्था और नौकरी के मोर्चे पर अच्छी खबर है। आने वाले कुछ सालों में 9 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। हालांकि, ये नौकरियां गिग इकोनॉमी का हिस्सा होंगी। यानी बतौर गिग वर्कर्स पैसा कमाने के ढेरों मौके मिलने वाले हैं। बीते कुछ सालों, खासकर कोरोना के बाद से गिग इकोनॉमी तेजी से फलफूल रही है। देश की अर्थव्यवस्था में भी इसका योगदान बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले सालों में गिग इकोनॉमी 17% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR)से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंच सकती है। इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1.25% बढ़ोतरी की संभावना है।
ई-कॉमर्स की बड़ी हिस्सेदारी
गिग इकॉनमी ने अब तक बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा की हैं। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी ई-कॉमर्स की है, यहां 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां मिली हैं। Zomato और Swiggy जैसी फूड डिलीवरी कंपनियां भी गिग वर्कर्स की कमाई का बड़ा साधन हैं। आजकल लोगों को सबकुछ घर बैठे चाहिए। इस वजह से ब्लिंकिट जैसे क्विक ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म बढ़ रहे हैं। अब अमेजन भी इस स्पेस में एंट्री ले रहा है।
कंपनी ‘Tez’ ब्रांड के तहत भारत में 10 मिनट में सामान की डिलीवरी करेगी। आने वाले समय में कई दूसरी कंपनियों के भी इस सेक्टर में दाखिल होने की संभावना है। ऐसे में जहां आम उपभोक्ता के लिए नए विकल्प मौजूद होंगे, वहीं गिग वर्कर्स को नौकरी के नए अवसर भी मिलेंगे।
मिलेंगी कई सुविधाएं
‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि गिग इकोनॉमी भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और इससे नई नौकरियां भी उत्पन्न होंगी। साथ ही इससे आय असमानताओं को कम करने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा सकेगा। बता दें कि गिग इकॉनमी के बढ़ते दायरे का अहसास सरकार को भी है और इसलिए वो गिग वर्कर्स के लिए कुछ करना चाहती है।
सरकार ने इन वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है। केंद्र की तैयारी इन कर्मचारियों को जीवन, दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य लाभ जैसी कई सुविधाएं देने पर है। इसका मतलब है कि गिग इकोनॉमी का हिस्सा बनने वाले कर्मचारियों का आने वाला समय अच्छा रहने वाला है।
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कौन होते हैं Gig Workers?
गिग इकोनॉमी की बात करें, तो यह एक ऐसा लेबर मार्केट है जहां कर्मचारी शॉर्ट टर्म और फ्रीलांस कार्य व्यवस्था के तहत कंपनियों से जुड़ते हैं। ये स्थायी नहीं बल्कि गैर-स्थायी कर्मचारी होते हैं। कंपनियां इन कर्मचारियों को काम के आधार पर भुगतान करती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो गिग वर्कर्स स्वतंत्र रूप से ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े कर्मचारी, कॉन्ट्रैक्ट फर्म कर्मचारी, कॉल पर काम के लिए उपलब्ध कर्मचारी होते हैं।
गिग वर्कर्स और कंपनी के बीच एक समझौता होता है। इस समझौता के तहत कर्मचारी को कंपनी के कॉल पर काम करना होता है और इसके बदले उसे निर्धारित रकम का भुगतान किया जाता है। Zomato और Swiggy के साथ-साथ ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों के लिए आज के समय में गिग वर्कर्स बेहद महत्वपूर्ण हैं।