World Population Day 2025: भारत में औरतों को, छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है, मगर इस ही देश के अंदर ऐसे भी लोग है, जो औरतों को पूजते हैं लेकिन फिर उन्हीं लोगों द्वारा इन महिलाओं को देह व्यापार के कामों में झोंक दिया जाता है। आज वर्ल्ड पॉपुलेशन डे है, हमारा देश जिसे सबसे अधिक आबादी वाला देश माना गया है। यहां एक तबका ऐसा भी है, जिसे आज भी किसी प्रकार की पहचान नहीं मिली है। आप ये भी कह सकते हैं कि जनसंख्या में उनकी गिनती नहीं है।
हम यहां बात कर रहे हैं उन औरतों की जो देश की ऐसी गलियों में रहती है, जहां दिन के समय में भी अंधेरा छाया रहता है। इन्हें ‘रेड लाइट एरिया’ उर्फ कोठो के नाम से जाना जाता है। हाल ही में एक पॉडकास्ट शो में जानी-मानी प्रोस्टिट्यूट एक्टिविस्ट गीतांजलि बब्बर ने बताया कि देश की तकरीबन 13 मिलियन औरते देह व्यापार के कामों में लगी हुई है। ये संख्या और भी ज्यादा हो सकती है और उनका मानना है कि यदि इसे समय रहते संभाला न गया तो शायद ये संख्या आने वाले समय में ये ग्राफ डबल-ट्रिपल भी हो सकता है। गीतांजलि के मुताबिक, हर 7 मिनट में एक लकड़ी को उठा लिया जाता है। भविष्य में ये समय सीमा और कम हो सकती है।
क्या है इनका फ्यूचर?
गीतांजलि बताती हैं कि देश के बड़े राज्यों में बड़े-बड़े कोठे हैं, जहां हजारों की संख्या में औरते इस धंधे में हैं लेकिन संगठित नहीं है। इनके पास कोई भी पहचान पत्र, राशन कार्ड, मेडिकल कार्ड जैसा कोई भी आइडेंटिटी प्रूफ नहीं है, जो उन्हें भारत का नागरिक मान सके। इसका मतलब साफ है कि उनकी देश की आबादी के अंदर कोई भूमिका नहीं है। कोई भी सरकार कभी इन्हें किसी तरह के मुआवजे, हक या इनके भविष्य के लिए कोई योजना नहीं बनाया, जो इन्हें संगठित रख सके, तो ऐसी स्थितियों में उनका भविष्य उज्जवल कैसे हो सकता है।
दूसरे देशों की तुलना में भारत कहां?
भारत की तुलना में अन्य देशों में इन महिलाओं को सम्मान और अधिकार दोनों प्राप्त है। एक्टिविस्ट गीतांजलि बताती हैं कि उन्होंने जितना विश्लेषण किया है, विदेशों में इस प्रोफेशन में आने वाली महिलाओं को सरकार से कई प्रकार की सुविधा मिलती है, जो उन्हें देश का नागरिक बनाती है और उनके भविष्य को भी सुरक्षित रखती है। भारत में इन महिलाओं को सबसे ज्यादा कुछ चाहिए, तो वह सिर्फ इज्जत है। उन्हें सम्मान मिले, इसके लिए सरकार और एजेंसियों को मिलकर काम करने की जरूरत है।
क्यों नहीं मिल पाते इन्हें अधिकार?
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि कई बार छोटी बच्चियां कोठों पर आती है, जिन्हें अपना नाम भी नहीं पता होता है। कई बार लड़कियां अनपढ़ होती है, उन्हें किस जगह से कैसे उठाया गया है और अब किस राज्य में किस कोठे पर हैं, ये जानकारी नहीं होती है। कभी भी किसी कोठे में सरकार द्वारा कोई मुहिम नहीं चलाई गई है, जो उन्हें अधिकार दे सके।
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