Union Budget 2025-26: सिनेमाघरों में बेचे जाने वाले नमकीन पॉपकॉर्न पर जीएसटी बढ़ाने और कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न पर 28% टैक्स लगाने के कारण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पहले ही काफी आलोचना का सामना करना पड़ा , जिसके बाद सभी की निगाहें यूनियन बजट पर टिकी हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि 1 फरवरी को संसद में पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025-26 में क्या वह गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को कम करेंगी? इसे तर्कसंगत बनाने के लिए और कदम उठाएंगी? क्या जीएसटी को सरल बनाया जाएगा? क्या वित्त मंत्री इतनी उदार होंगी कि जीएसटी दरों को कम करेंगी, स्लैब की संख्या को कम करेंगी और कर व्यवस्था को सरल बनाने और लोअर मिडिल को राहत देने के लिए अन्य कदम उठाएंगी?
GST दर कम करने की मांग
बजट-पूर्व परामर्श को समाप्त करने से पहले, निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत के दिग्गजों, व्यापारिक दिग्गजों, छोटे व्यवसायों के प्रतिनिधियों, ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों जैसे कई लोगों से मुलाकात की। वित्त मंत्री से मिलने वाले ज्यादातर लोगों ने उनसे अपने क्षेत्र में जीएसटी दरों को कम करने या खत्म करने का आग्रह किया। जैसे कि रत्न और आभूषण के दिग्गजों ने उस क्षेत्र पर जीएसटी को 1% तक कम करने का अनुरोध किया। वहीं पर्यटन क्षेत्र ने भी इसी तरह की मांग की है। बता दें कि ये लिस्ट बहुत लंबी है, ऐसे में निर्मला सीतारमण एक अजीबोगरीब स्थिति में फंस गई हैं, जहां उन्हें राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5% पर रखना है और कई प्रोजेक्ट और सरकारी योजनाओं को भी लागू करना है।
हालांकि अलग-अलग पार्टियों के प्रवक्ता GST को लेकर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। जीएसटी की आलोचना करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सलमान सोज ने विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि यह दुनिया की सबसे जटिल कर प्रणाली है और वित्त मंत्री से इसे सरल बनाने का आग्रह किया। भाजपा प्रवक्ता विश्वास पाठक ने पत्रकारों से कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2014 से अधिकांश वस्तुओं पर करों में बहुत अधिक वृद्धि नहीं की है और कर व्यवस्था को तर्कसंगत और स्थिर किया है, जिससे अच्छा लाभ हुआ है।
हेल्थ केयर सेक्टर में GST दर कम करने की मांग
हेल्थ केयर सेक्टर ने भी मेडिकल टूल्स और इक्विपमेंट पर जीएसटी में कमी करने की मांग की है ताकि इनोवेशन को प्रोत्साहन मिल सके और हेल्थ केयर सुविधाओं को उचित लागत पर पेश किया जा सके। इसके साथ हॉस्पिटैलिटी सेक्टर ने मांग की है कि पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार पैदा करने के लिए विदेशी मेहमानों से एकत्र किए गए जीएसटी को शून्य किया जाना चाहिए।
वर्तमान में को-वर्किंग स्पेस से होने वाली आय पर 18% जीएसटी लगता है, ऐसे में इंडस्ट्री की मांग है कि स्टार्टअप कंपनियों और एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए इसे कम किया जाए।
इतना ही नहीं बीमा क्षेत्र ने अपने उत्पादों पर जीएसटी को 18% से घटाकर 5% करने की मांग की है। इसपर सेक्टर के लीडर्स का तर्क है कि तकनीकी नवाचार के साथ-साथ कम जीएसटी से क्षेत्र में अधिक FDI आ सकता है और बीमा व्यवसाय को बढ़ावा मिल सकता है।
मनरेगा मजदूरी में बढ़ोतरी की मांग
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने निर्मला सीतारमण से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत न्यूनतम मजदूरी 267 रुपये से बढ़ाकर 375 रुपये प्रतिदिन करने का आग्रह किया है। इसमें पीएम किसान योजना के तहत राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये करने की भी सिफारिश की है।
सीआईआई ने उम्मीद जताई कि इन कदमों से निम्न आय वर्ग के लोगों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा शुरू की गई ग्रामीण रोजगार योजना एक जरूरत आधारित योजना है और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फंड मुहैया कराया जाता है, जो स्थानीय स्तर पर विकास योजनाओं को लागू करते हैं। बता दें कि निर्मला सीतारमण ने 2025-25 के बजट में मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये अलॉट किए थे। यह वित्त वर्ष 2023-24 के आवंटन से करीब 14 फीसदी कम था।
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