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NDA ने सीपी राधाकृष्णन को क्यों बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार? ये हैं 5 बड़ी वजह

C P Radhakrishnan: NDA ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन के नाम का ऐलान कर चौंका दिया। इस पद के लिए कई नाम चर्चा में थे, कयास लगाए जा रहे थे कि बिहार चुनाव से पहले राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के नाम पर मोहर लग सकती है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Pushpendra Sharma Updated: Aug 17, 2025 22:16
CP Radhakrishnan PM Modi
पीएम मोदी के साथ सीपी राधाकृष्णन। Credit- PM Modi X

C P Radhakrishnan: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया है। राधाकृष्णन इस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। वह इससे पहले झारखंड, तेलंगाना और पुदुचेरी के राज्यपाल के तौर पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वह किशोरावस्था से ही आरएसएस और भारतीय जनसंघ से जुड़े थे। आइए जानते हैं एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार क्यों बनाया?

संघ से जुड़ाव

तमिलनाडु के तिरुपुर में 4 मई 1957 को जन्मे सीपी राधाकृष्णन महज 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे। वह एक सिद्धहस्त पॉलिटिशियन रहे हैं। जहां उन्होंने समय-समय पर हर जिम्मेदारी में खुद को साबित किया है। सीपी राधाकृष्णन को चुने जाने के पीछे इस वजह के साथ ही कई रणनीतिक और राजनीतिक उद्देश्य भी माने जा रहे हैं। उनके सभी दलों के नेताओं के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध माने जाते हैं। वह समाज के विभिन्न वर्गों में बेहतर इमेज रखते हैं।

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लंबा प्रशासनिक अनुभव

साल 2004-2007 तक तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके हैं। तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के रूप में उनकी 93 दिन की रथयात्रा काफी चर्चित रही। जहां उन्होंने राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करते हुए अस्पृश्यता उन्मूलन, आतंकवाद के विरुद्ध अभियान और भारतीय नदियों को जोड़ने जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित कराया। संघ और बीजेपी के साथ काम करने के उनके लंबा अनुभव ने उन्हें इस पद का दावेदार बनाया था। उन्हें लंबा प्रशासनिक अनुभव भी है। दक्षिण में उन्हें संगठन को मजबूत करने का श्रेय जाता है।

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दक्षिण के द्वार में बीजेपी की प्रभाव जमाने की कोशिश

दक्षिण के द्वार तमिलनाडु से बीजेपी अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटी है। तमिलनाडु में बीजेपी अपना प्रभाव बढ़ाकर पार्टी को मजबूत करना चाहती है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन के नाम का ऐलान कर बड़ा दांव खेला है। वह 1999 में कोयंबटूर में लोकसभा सीट जीतकर द्रविड़-प्रधान राज्य में चुनावी सफलता दिखा चुके हैं। वे यहां दो बार सांसद रहे हैं।

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पीएम मोदी और अमित शाह से करीबी

सीपी राधाकृष्णन को कट्टर आरएसएस और बीजेपी नेता के रूप में जाना जाता है। उन्हें सियासी गलियारों में ‘तमिलनाडु के मोदी’ और ‘कोयंबटूर के वाजपेयी’ जैसे उपनामों से भी संबोधित किया जाता है। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का भी करीबी माना जाता है।

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जमीन से जुड़े नेता

सीपी राधाकृष्णन कोयंबटूर की वेल्लाला गौंडर जाति से आते हैं। यह जाति कोंगु नाडु का एक प्रमुख समुदाय है। पहले इन्हें अगड़ी जाति यानी सामान्य वर्ग के रूप में मान्यता मिली थी, लेकिन बाद में (1975) ये ओबीसी में शामिल हो गई। 40 साल के पॉलिटिकल करियर में राधाकृष्णन को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है। 2012 में उन्होंने आरएसएस के एक कार्यकर्ता पर हमला करने वाले अपराधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई न करने का विरोध करते हुए गिरफ्तारी दी थी। वह संयुक्त राष्ट्र में संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा रह चुके हैं।

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First published on: Aug 17, 2025 09:18 PM

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