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केजरीवाल के बाद दिल्ली में CM पद के 5 दावेदार कौन? आतिशी, सुनीता, गोपाल राय… किसका दावा सबसे मजबूत

Who will succeed Arvind Kejriwal as Delhi CM: दिल्ली को जल्द ही नया मुख्यमंत्री मिलेगा। आम आदमी पार्टी के विधायक नया मुख्यमंत्री चुनेंगे। केजरीवाल और सिसोदिया ने खुद को इस रेस से अलग कर लिया है। देखना होगा कि दिल्ली का नया सीएम कौन बनता है।

Edited By : Nandlal Sharma | Updated: Sep 16, 2024 08:19
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केजरीवाल के बाद दिल्ली का सीएम बनने की रेस में कई नाम हैं।
केजरीवाल के बाद दिल्ली का सीएम बनने की रेस में कई नाम हैं।

Who will succeed Arvind Kejriwal as Delhi CM: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को इस्तीफा देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा दूंगा। विधानसभा भंग नहीं होगी और विधायक नया मुख्यमंत्री चुनेंगे। केजरीवाल ने कहा कि वह सीएम की कुर्सी पर तभी बैठेंगे, जब जनता उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट देगी। इसके साथ ही केजरीवाल ने यह भी कहा कि मैं और मनीष सिसोदिया जनता के बीच जाएंगे। मनीष सिसोदिया भी सीएम नहीं बनेंगे। बता दें कि केंद्रीय जांच एजेंसियों ने दिल्ली शराब घोटाले में पहले मनीष सिसोदिया और फिर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था।

केजरीवाल को लोकसभा चुनाव से पहले 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। बाद में लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार के लिए उन्हें कोर्ट से जमानत मिली थी। बीते 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केजरीवाल को सशर्त जमानत दी।

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अरविंद केजरीवाल के सीएम का पद छोड़ने की घोषणा के बाद सबसे बड़ा सवाल ये हो गया है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? पढ़िए उन 5 दावेदारों के बारे में जो केजरीवाल के बाद बन सकते हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री –

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अतिशी मार्लेना

नीतिगत सुधारों और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहने वाली अतिशी मार्लेना केजरीवाल के जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी का मुख्य चेहरा बनकर उभरी हैं। दिल्ली सरकार को चलाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरकार में शिक्षा, वित्त, योजना, पीडब्ल्यूडी, बिजली, पानी और पब्लिक रिलेशंस जैसे 14 विभागों की जिम्मेदारी अतिशी के पास है।

गोपाल राय

आम आदमी पार्टी के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं। जमीन पर काम करने का अनुभव है और छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं। दिल्ली सरकार में गोपाल राय के पास पर्यावरण, वन और वाइल्डलाइफ विभाग है। गोपाल राय को प्रचार के दौरान एक बार गोली लग गई थी, जिसकी वजह से वह आंशिक तौर पर लकवाग्रस्त हो गए थे। मजदूरों और पर्यावरण के मुद्दों पर गोपाल राय को काम करने का बहुत अनुभव है। दिल्ली के बड़े मुद्दों पर काम करने और संघर्ष करने की क्षमता ने गोपाल राय की दावेदारी को मजबूत कर दिया है।

कैलाश गहलोत

दिल्ली की राजनीति का प्रमुख चेहरा हैं। ट्रांसपोर्ट मंत्री के तौर पर काम करके दिल्ली में यातायात का चेहरा बदला है। बस सेवाओं का विस्तार, इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत और सड़क सुरक्षा के मसले पर गहलोत ने बेहतरीन काम किया है। 50 वर्षीय कैलाश गहलोत ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर अपनी लीडरशिप का लोहा मनवाया है। जाहिर है कि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं।

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सौरभ भारद्वाज

केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद सौरभ भारद्वाज ने आगे बढ़कर सरकार और संगठन को चलाया है। अतिशी के साथ सौरभ भारद्वाज दिल्ली सरकार का चेहरा रहे हैं। केजरीवाल का उन पर विश्वास है और स्वास्थ्य मंत्री के नाते उन्होंने अपनी क्षमता का परिचय दिया है। सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद सौरभ भारद्वाज ने स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली है। संकट के समय जिस तरह से सौरभ भारद्वाज ने संगठन और सरकार को चलाने में अपनी भूमिका निभाई है, वह उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल करता है।

सुनीता केजरीवाल

भारतीय राजस्व सेवा की पूर्व अफसर सुनीता केजरीवाल अब आम आदमी पार्टी का चेहरा हैं। केजरीवाल के जेल जाने के बाद उन्होंने लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रचार की जिम्मेदारी संभाली। सुनीता केजरीवाल हरियाणा और गुजरात में भी सक्रिय हैं। वह नियमित तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखती हैं। केजरीवाल के संदेशों को जनता के सामने रखती हैं। यही नहीं दिल्ली और रांची में उन्होंने इंडिया गठबंधन की रैली को भी संबोधित किया था।

पूर्व राजस्व अधिकारी होने के नाते प्रशासनिक मामलों को संभालने का अनुभव सुनीता केजरीवाल के पास है। लेकिन गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि होने और संवैधानिक प्रावधानों के आड़े आने की वजह से सुनीता केजरीवाल का दावा कमजोर लगता है। हालांकि दिल्ली की राजनीति में जारी उठापटक को देखते हुए सुनीता केजरीवाल के सीएम बनने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता।

दिल्ली में फरवरी 2025 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी ने विधानसभा भंग नहीं की है, ऐसे में चुनाव आयोग के लिए नवंबर में चुनाव करा पाना आसान नहीं होगा। हालांकि सुनीता केजरीवाल के राजनीति में आने पर आम आदमी पार्टी पर भी दूसरी पार्टियों की तरह परिवारवाद का आरोप लगेगा। इस खतरे को केजरीवाल भी समझते हैं।

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Written By

Nandlal Sharma

First published on: Sep 16, 2024 08:19 AM

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