अमर देव पासवान, कोलकाता
पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हजारों परिवारों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 26 हजार से अधिक शिक्षकों और शिक्षा कर्मियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया। इससे प्रभावित लोग गहरे सदमे में हैं। कुछ टीचरों ने निराश होकर खुद को खत्म करने की बात कही है तो कुछ न्याय की उम्मीद में कानूनी लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पूरे पैनल को अवैध घोषित कर दिया, जिससे हजारों शिक्षक-शिक्षा कर्मियों की नौकरी चली गई। पश्चिम मेदिनीपुर स्थित तरिया हाई स्कूल के भूगोल विषय के टीचर कृष्णेंदु दत्ता ने कहा कि मेरे परिवार में एक अविवाहित बहन है और बुजुर्ग माता-पिता हैं। अब कैसे उनका भरण-पोषण होगा? यह सोचकर डर लग रहा है। लेकिन हम न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने योग्य-अयोग्य को अलग कर दिखाया तो फिर सभी की नौकरी क्यों गई?
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अब बस मौत ही एकमात्र रास्ता बचा : टीचर
हालीशहर आदर्श विद्यालय के इंग्लिश टीचर चिन्मय मंडल ने कहा कि इस फैसले ने हमें असहाय बना दिया है। कई शिक्षक निराशा में खुद को खत्म करने की बात कर रहे हैं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि यह सही रास्ता नहीं है। हमें अपने अधिकारों के लिए बड़े स्तर पर आंदोलन करना होगा। कुछ लोग पूरी तरह टूट चुके हैं। प्रभावित शिक्षक प्रताप रायचौधरी ने निराश होकर कहा कि अब बस मौत ही एकमात्र रास्ता बचा है।
शिक्षकों को 4 साल वेतन भी करना पड़ेगा वापस : SC
कोर्ट के आदेश के अनुसार, जिन शिक्षकों की नौकरी गई है, उन्हें अब 4 साल का वेतन भी वापस करना पड़ेगा। यह एक और बड़ा झटका है। प्रभावित टीचर सवाल कर रहे हैं कि वेतन वापस न कर पाने वालों का क्या होगा? क्या भर्ती घोटाले में शामिल असली दोषियों पर कोई कानूनी कार्रवाई होगी? इन सभी सवालों का उत्तर अभी किसी के पास नहीं है।
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