भारत को अपना 15वां उपराष्ट्रपति मिलने वाला है। 9 सितंबर को पद के लिए वोटिंग और मतगणना होगी। देर रात तक नए उपराष्ट्रपति की घोषणा हो जाएगी। चुनावी जंग में बीजेपी गठबंधन ने सीपी राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन ने सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। आंकडों के अनुसार, बीजेपी गठबंधन की जीत साफ है, लेकिन भी बीजेपी गठबंधन इसको लेकर ओवप कॉफिडेंस में नहीं है। एक प्रतियोगी के रूप में चुनाव के लिए बीजेपी ने पूरी रणनीति तैयार की है। सत्ता पक्ष की तरह से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चुनाव की कमान संभाल रहे हैं। 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से वोटिंग शुरू होगी। बीजेपी गठबंधन ने सांसदों को इकठ्ठा करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की 10 टीमें बनाई हैं। ये टीमें अलग अलग राज्यों के सांसदों को इकठ्ठा करेंगी। सुबह 8 बजे तक सभी टीम अपने आवास पर सांसदों को जुटाएंगी।
ये हैं 10 टीमें
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सरकार ने 10 केंद्रीय मंत्रियों की टीम बनाई है। ये मंत्री अलग अलग राज्यों के सांसदों को इकठ्ठा करने की जिम्मेदारी उठाएंगे। अपने आवास पर एकत्र करने के बाद सांसदों को यही मंत्री संसद भवन तक ले जाएंगे। टीम में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, अर्जुन मेघवाल, मनसुख मंडाविया, नित्यानंद राय, भूपेन्द्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान और किरण रिजिजू शामिल हैं। सांसद इन्हीं मंत्रियों के आवास पर नाश्ता के जुटेंगे, फिर यहीं से संसद जाएंगे। सभी अपनी अपनी टीम को लीड करेंगे।
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कौन मंत्री के पास कौन से सांसद?
पीयूष गोयल- उत्तर प्रदेश के सभी बीजेपी सांसद
प्रह्लाद जोशी- दक्षिण भारत के सांसद प्रह्लाद जोशी
शिवराज सिंह चौहान- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सांसद
मनोहर लाल खट्टर- पूरे उत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, पंजाब-हरियाणा और हिमाचल-उत्तराखंड के सांसद
अर्जुन मेघवाल- राजस्थान के सांसद
मनसुख मंडाविया- गुजरात के सांसद
नित्यानंद राय- बिहार और झारखंड के सांसद
भूपेन्द्र यादव- महाराष्ट्र के सांसद
धर्मेंद्र प्रधान- बंगाल और ओडिशा के सांसद
किरण रिजिजू- पूर्वोत्तर के सांसद
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क्यों बनाई बीजेपी ने यह प्लानिंग?
उपराष्ट्रपति चुनाव में व्हिप जारी नहीं होता, क्योंकि कोई भी उम्मीदवार किसी पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ता है। ऐसे में सांसदों के ऊपर पार्टी लाइन में चलकर वोट देने की कोई बाध्यता नहीं होती है। अगर कोई सांसद पार्टी समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ जाकर भी क्रॉस वोटिंग करती है, तो पार्टी सदस्य के ऊपर कोई एक्शन नहीं ले सकती है। ऐसे में अपने सांसदों को एकजुट रखने के लिए यह प्लान बनाया है। ताकि विपक्ष सांसदों को बहला न सके।