Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। चुनाव से महज एक दिन पहले 3 पार्टियों ने बड़ा फैसला लिया है। ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD), तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) और पंजाब के शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने चुनाव से दूरी बना ली है। इन पार्टियों के नेता उम्मीदवारों को वोट नहीं देंगे। पहले बीजेडी ने मतदान से दूर रहने का फैसला लिया था।
फिर बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने बड़ा ऐलान कर चुनाव से दूरी बनाने का ऐलान किया। अब SAD ने भी चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। केटीआर का कहना है कि ये फैसला पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम के.चंद्रशेखर राव की पार्टी के नेताओं के साथ हुई मीटिंग के दौरान लिया गया। इसके बारे में पार्टी के सभी राज्यसभा सांसदों को सूचना दी जा चुकी है। उन्हें वोट न करने को कहा गया है। बीआरएस, बीजेडी और एसएडी के दूर हो जाने के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव के समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। आइए आपको बताते हैं अब कुल कितने सांसद वोट देंगे और जीत का गणित क्या हो सकता है?
क्या है सीटों का गणित?
बीआरएस के पास राज्यसभा में 4 सांसद हैं, जबकि पार्टी के पास लोकसभा में एक भी सीट नहीं है। दूसरी ओर, बीजेडी के पास लोकसभा में 7 सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में एक भी मेंबर नहीं है। वहीं SAD के पास लोकसभा में एक सांसद है। इस तरह बीजेडी, बीआरएस और एसएडी के चुनाव से दूर रहने पर कुल 12 सांसद कम हो गए हैं। पहले कुल 782 सांसद होने पर जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत थी। अभी लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 240 सांसद हैं, यानी संसद में कुल 782 सदस्य हैं, लेकिन अब 12 सांसदों के पीछे हटने से कुल 770 सांसद ही वोट करेंगे। ऐसे में जीत के लिए 386 वोट होने जरूरी हैं। हालांकि अगर वोटिंग के दिन कोई पार्टी या सांसद पीछे हटता है तो स्थिति फिर बदल सकती है। वैसे संख्या के हिसाब से देखा जाए तो एनडीए के पास बहुमत है। एनडीए के पास 425 सांसद हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा सांसद वोट देते हैं।
BRS ने इस वजह से लिया फैसला
इससे पहले 2022 में उपराष्ट्रपति चुनाव में बीआरएस ने विपक्ष का समर्थन किया था। बीआरएस सांसदों ने मार्गरेट अल्वा को वोट दिया था। बीआरएस के पास उस समय 16 सांसद थे। इसमें लोकसभा के 9 सांसद थे। बीआरएस ने तेलंगाना के किसानों की वजह से चुनाव से दूर रहने का फैसला लिया है। पार्टी ने इसके लिए केंद्र की बीजेपी और राज्य की कांग्रेस सरकार पर नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों यूरिया की कमी दूर करने में विफल रही हैं। इसी के चलते किसानों के बीच झड़प हो रही है। पार्टी का ये भी कहना है कि अगर चुनाव में नोटा का ऑप्शन होता, तो वे इसके साथ जाते। हालांकि तेलंगाना कांग्रेस ने बीआरएस के इस फैसले को बेतुका बताया है।
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BJD-SAD ने क्यों लिया ये फैसला?
बीजेडी के इस फैसले के पीछे वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग मानी जा रही है। वोटिंग पर पार्टी को विपक्षी दलों की आलोचना झेलनी पड़ी थी। बीजेडी ने 5 सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान कर दिया था। एक सांसद ने वोट नहीं किया, जबकि एक विरोध में बाहर रहे। इस बार पार्टी के सांसद ऐसा कुछ न कर पाएं, इसलिए बीजेडी ने दूर रहने में ही भलाई समझी है। गौरतलब है कि बीजेडी पहले एनडीए में शामिल थी। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में पार्टी के कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल में भी जगह मिली थी। हालांकि 2009 में बीजेडी ने एनडीए से नाता तोड़ लिया। फिलहाल बीजेडी एनडीए या इंडिया गठबंधन किसी में भी शामिल नहीं है। शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब में बाढ़ की वजह से दूर रहने का फैसला लिया है।
10 बजे से होगा मतदान
उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होगा। सुबह 10 बजे से मतदान शुरू होगा। वोटिंग 5 बजे तक होगी। शाम 6 बजे से वोटों की गिनती होगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन हैं तो वहीं विपक्ष यानी इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी हैं।