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क्‍या त‍िरुपत‍ि प्रसाद में म‍िलावटी था घी? SC की बड़ी ट‍िप्‍पणी, ‘भगवान को राजनीत‍ि से दूर रखो..’

Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति प्रसाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट 5 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट देखकर लगता है कि प्रसाद सामग्री में कोई मिलावट नहीं हुई।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Sep 30, 2024 14:41
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Tirupati Laddu Controversy
Tirupati Laddu Controversy

Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति मंदिर में प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वानथन की बेंच 5 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रिपोर्ट को देखकर प्रथम दृष्टया लग रहा है कि प्रसाद में मिलावटी सामग्री का उपयोग नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि भगवान को इन चीजों से दूर रखा जाए।

वहीं मामले में जस्टिस गवई ने सीएम चंद्रबाबू नायडू पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि जब आरोपों की जांच के लिए एसआईटी बनाई गई तो बिना नतीजे के प्रेस में बयान देने की क्या जरूरत थी?

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5 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा कोर्ट

बता दें कि कोर्ट इस मामले से जुड़ी 5 याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं में वाई. वी सुब्बा रेड्डी, विक्रम संपत, दुष्यंत श्रीधर, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और सुरेश चव्हाण के शामिल थे। मामले में केंद्र सरकार की ओर से साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। जबकि आंध्रप्रदेश सरकार की ओर से सिद्धर्थ लूथरा और मुकुल रोहतगी मौजूद थे।

बीजेपी नेता स्वामी के वकील ने कोर्ट में कहा कि मैं श्रद्धालु के तौर पर कोर्ट में आया हूं। प्रसाद में मिलावट के नाम पर जो बयान मीडिया में दिया गया, यह चिंता का विषय है। अगर भगवान के प्रसाद पर कोई प्रश्न चिन्ह है तो इसकी जांच होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब सीएम एसआईटी जांच के आदेश दिए थे तो जांच पूरी होने से पहले उन्हें मीडिया में जाने की क्या जरूरत थी।

कौनसा आपूर्तिकर्ता चिंतित था? 

स्वामी के वकील ने आगे कहा कि टीटीडी अधिकारी का कहना है कि उस घी का 100 प्रतिशत उपयोग नहीं किया गया था। क्या सैंपलिंग की गई? उन्होंने कहा कि कौनसा आपूर्तिकर्ता चिंतित था। एक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मंदिर की ओर से प्रेस रिलीज जारी की गई थी। ऐसे में क्या किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की अनुमति मिलनी चाहिए? उन्होंने कहा कि बिना किसी सबूत के ये बयान देना कि प्रसाद में मिलावट है, परेशान करने वाला है।

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ये वास्तविक याचिकाएं नहीं- आंध्र सरकार

वहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि मेरी भावनाएं आहत हुई हैं, भावनाओं का सम्मान हो। ऐसे में हमारी मांग है कि एक संवैधानिक समिति का निर्माण किया जाए। जिसकी जांच रिटायर्ड जज के द्वारा की जाए। मामले में आंध्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये वास्तविक याचिकाएं नहीं हैं। ये मौजूदा सरकार पर हमले की कोशिश है।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Sep 30, 2024 01:37 PM

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