मुख्यमंत्री नाश्ता योजना के तहत सरकारी स्कूल की रसोई में जो नाश्ता बना, उसे छात्रों ने यह कहते हुए खाने से इनकार कर दिया कि यह खाना दलित महिला रसोइये ने बनाया है। मामला तमिलनाडु में सामने आया। स्वयं सहायता समूह की सदस्य दलित महिला मुनियासेल्वी उसिलामपट्टी के प्राइमरी स्कूल में रसोइया है। अधिकारियों ने रसोइये से खाने के स्टॉक के बारे में पूछा तो मामलो का खुलासा हुआ, जो DMK सांसद कनिमोझी तक पहुंचा। इसके बाद उन्होंने ऐसा कदम उठाया, जिसकी सबने सराहना की।
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रसोइये ने खुद छात्रों को बात करते सुना
इंडिया टुडे में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अधिकारियों को मुनियासेल्वी ने बताया कि 11 में से 9 छात्रों ने उसके द्वारा बनाए गए नाश्ते को खाने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनके मां-बाप ने उन्हें ऐसा करने से मना किया है, क्योंकि उनका कहना है कि वह दलित है। अगर उसके हाथ से बना नाश्ता खाएंगे तो गांव वाले निकाल देंगे। बहिष्कार कर देंगे, इसलिए वे नाश्ता करने से मना करते हैं। उसने खुद छात्रों को यह बात करते हुए सुना। वह छात्रों पर नाश्ता करने के लिए दबाव नहीं डालना चाहती।
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CM ने अगस्त 2022 में शुरू की योजना
अधिकारियों ने मामले के बारे में जिला कलेक्टर से बात की, जिन्होंने छात्रों के अभिभावकों से मिलकर बात की। इसके बाद मामला DMK सांसद कनिमोझी, राज्य मंत्री गीता जीवन और जिला कलेक्टर सेंथिल राज ने स्कूल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने बच्चों के साथ नाश्ता भी किया। बता दें कि तमिलनाडु में छात्रों को पौष्टिक नाश्ता प्रदान करने के लिए पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ‘मुख्यमंत्री नाश्ता योजना’ शुरू की थी। इसके तहत 15.75 लाख छात्रों को मुफ्त नाश्ता रोज करवाया जाता है।