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सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के मामलों में ‘टू-फिंगर टेस्ट’ की निंदा की, केंद्र और राज्य सरकारों को दिए ये निर्देश

SC Slams Two Finger Test: सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में ‘टू-फिंगर टेस्ट’ के इस्तेमाल की निंदा की और केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस प्रथा को रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रथा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह महिलाओं को […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Nov 1, 2022 12:12
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BBC Documentary Row, Gujarat Riots, Supreme Court
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SC Slams Two Finger Test: सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में ‘टू-फिंगर टेस्ट’ के इस्तेमाल की निंदा की और केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस प्रथा को रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रथा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह महिलाओं को फिर से आघात पहुंचाता है। कोर्ट ने ये भी कहा कि ‘टू-फिंगर टेस्ट’ करने वाले को कदाचार का दोषी माना जाएगा।

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शीर्ष अदालत ने कहा, “ये घटिया सोच है कि बलात्कार पीड़िता पर सिर्फ इसलिए विश्वास नहीं किया जा सकता है कि क्योंकि वह यौन रूप से सक्रिय है।” न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने बलात्कार के एक मामले में दोषसिद्धि बहाल करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

कोर्ट ने ये भी कहा कि बलात्कार के मामले में इस तरह के टेस्ट करने वाले जीवित बचे लोगों पर आपराधिक कदाचार के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एक आपराधिक मामले में एक फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ते हुए कहा कहा कि इस अदालत ने बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में टू-फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल की निंदा की है। तथाकथित परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह बलात्कार पीड़िताओं की जांच करने का एक आक्रामक तरीका है।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2013 में फैसला सुनाया था कि एक बलात्कार पीड़िता का ‘टू-फिंगर टेस्ट’ उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। बलात्कार पीड़ित कानूनी सहारा के हकदार है। चिकित्सा प्रक्रियाओं को इस तरह से नहीं किया जाना चाहिए जो क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक हो।

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Edited By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Oct 31, 2022 12:50 PM

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