इंफाल: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पिछले कई हफ्तों से मणिपुर में हुई जातीय झड़पों से संबंधित कार्यवाही का इस्तेमाल राज्य में हिंसा बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि वह हिंसा को रोकने के लिए कानून-व्यवस्था तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकती।
सीजेआई ने क्या कहा?
सीजेआई की यह टिप्पणी पूर्वोत्तर राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रही हिंसा से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की गई थी। सीजेआई ने कहा कि यह राज्य में हो रही हिंसा को और बढ़ाने का मंच नहीं बनना चाहिए। हम सुरक्षा या कानून प्रवर्तन तंत्र नहीं चला रहे हैं।
मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि राज्य में हिंसा को रोकने के लिए मौजूदा स्थिति और उठाए गए कदमों के संबंध में एक हलफनामा दायर किया गया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुकी समूह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस से मणिपुर सरकार द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट पर अपने रचनात्मक सुझावों के साथ एक नोट दाखिल करने को कहा।
हिंसा में 150 से ज्यादा लोगों की गई जान
3 जुलाई को शीर्ष अदालत ने मणिपुर सरकार को जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में पुनर्वास, कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार और हथियारों की बरामदगी के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। राज्य में जारी हिंस में अब तक 150 लोगों से ज्यादा की जान चली गई है।