सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट 3 मार्च के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें छह महीने के भीतर अमरावती राजधानी शहर और क्षेत्र का निर्माण और विकास करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
SC stays Andhra High Court order to complete construction of capital Amaravati in 6 months
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— ANI Digital (@ani_digital) November 28, 2022
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सुप्रीम कोर्ट ने अब मामले को 31 जनवरी, 2023 को सुनवाई के लिए पोस्ट किया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, “हम इस मुद्दे की जांच करने के इच्छुक हैं। अदालत ने 3 मार्च के आदेश का हवाला देते हुए पूछा, “क्या आंध्र प्रदेश राज्य में सत्ता का पृथक्करण नहीं है? हाई कोर्ट एक कार्यकारी के रूप में कैसे कार्य करना शुरू कर सकता है।” अदालत ने कहा सुनवाई की अगली तारीख तक दिशा निर्देश पर रोक रहेगी।
आगे बेंच ने कहा कि “अदालतें टाउन प्लानर और चीफ इंजीनियर नहीं बन सकती हैं।”
क्या है मामला
बता दें कि उक्त आदेश में सरकार ने राज्य के सभी हिस्सों में विकास सुनिश्चित करने के लिए राज्य के विभिन्न शहरों में तीन राजधानियां बनाने का फैसला किया था। पेश याचिका में अपील कि गई है कि संविधान के संघीय ढांचे के तहत, प्रत्येक राज्य को यह निर्धारित करने का अंतर्निहित अधिकार है कि उसे अपने पूंजीगत कार्यों को कहां से करना चाहिए।पेश याचिका में कहा गया है, “यह मानना कि राज्य के पास अपनी राजधानी तय करने की शक्ति नहीं है, संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन है।”
यह भी जानें
हाई कोर्ट का निर्णय ‘शक्तियों के पृथक्करण’ के सिद्धांत का उल्लंघन है क्योंकि यह विधायिका को इस मुद्दे को उठाने से रोकता है। हाई कोर्ट ने 3 मार्च को अपने आदेश में निर्देश दिया था कि राज्य सरकार छह महीने के भीतर अमरावती राजधानी शहर और क्षेत्र का निर्माण और विकास करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि राजधानी को स्थानांतरित करने, विभाजित करने या तीन भागों में बांटने के लिए कोई भी कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल में “क्षमता की कमी” है।