Supreme Court reserves verdict on Article 370: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को अपना फैसला रिजर्व रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट में 16 दिन पक्ष और विपक्ष के वकीलों ने अपने तर्क रखे। शीर्ष अदालत ने इस मामले की मैराथन सुनवाई की है। फैसला कब आएगा, इसकी अभी तारीख नहीं बताई गई है।
इस प्रकरण की सुनवाई 2 अगस्त से पांच जजों की खंडपीठ कर रही थी, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल थे। केंद्र सरकार ने 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था। साथ ही राज्य का दो हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजन कर दिया था। केंद्र के इस फैसले को चुनौती दी गई थी। यह मामला तीन सालों तक निष्क्रिय रहा, इसकी आखिरी लिस्टिंग मार्च 2022 में हुई थी।
Constitution bench of the Supreme Court reserves its verdict on a batch of petitions challenging the abrogation of Article 370 and bifurcation of the erstwhile state of Jammu and Kashmir into two Union territories.
Five-judge Constitution bench comprising Chief Justice of India… pic.twitter.com/o8nass3ztG
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) September 5, 2023
वकील हसनैन बोले- हम दलीलों से संतुष्ट
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और याचिकाकर्ता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने कहा कि हम की गई दलीलों से संतुष्ट हैं। सभी पहलुओं पर ठोस तर्क दिए गए।
#WATCH | "We are satisfied with the arguments done. All aspects were argued convincingly," says Justice (Retd) Hasnain Masoodi, National Conference leader and petitioner in Article 370 case in the Supreme Court pic.twitter.com/mVE9tr8oVJ
— ANI (@ANI) September 5, 2023
अकबर लोन ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा
अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने अकबर लोन को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा था। जिसमें कहा गया कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
पांच जजों की पीठ ने दिया था आदेश
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि हम अकबर लोन से यह चाहते हैं कि वह बिना शर्त स्वीकार करें कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वह संविधान का पालन करते हैं और उसके प्रति निष्ठा रखते हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जब लोन ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, तो उन्हें राष्ट्र की संप्रभुता में विश्वास करना होगा।
तुषार मेहता ने हलफनामा को बताया दिखावा
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लोन के हलफनामे को एक दिखावा कहा। मेहता ने आरोप लगाया था कि लोन ने 2018 में जम्मू और कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए थे।
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