Supreme Court on Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता रेप मर्डर केस का शोर पूरे देश में गूंज रहा है। हजारों डॉक्टर्स धरने पर बैठे हैं, तो कई हॉस्पिटल बंद चल रहे हैं। IMA ने भी हड़ताल शुरू कर दी है। कोई कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के लिए इंसाफ की गुहार लगा रहा है, तो कोई डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग पर अड़ा है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान ट्रेनी डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बैठी तीन जजों की बेंच ने कहा कि पीड़िता की पहचान उजागर करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लघंन माना जाएगा। सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पीड़िता का नाम, फोटो और वीडियो सामने आ रहा है। इसे जल्द से जल्द हटाया जाए।
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2018 के केस का दिया हवाला
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में निपुण सक्सेना केस पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि किसी भी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जाएगी। इसी फैसले का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कोलकाता कांड की पीड़िता की तस्वीरें और वीडियो मीडिया में सामने आ रहे हैं। इसे फौरन बंद किया जाए।
Supreme Court begins hearing on suo motu case on the rape and murder of a doctor in state-run RG Kar Medical College and Hospital in Kolkata, West Bengal. pic.twitter.com/u5AfTIPKds
— ANI (@ANI) August 20, 2024
IMA से की हड़ताल खत्म करने की अपील
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने IMA से भी हड़ताल खत्म करने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने IMA से अपील करते हुए कहा कि हड़ताल को जल्द से जल्द खत्म करें। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद आज दिल्ली में IMA की बैठक होगी। इस बैठक में हड़ताल खत्म करने या जारी रखने पर बड़ा फैसला हो सकता है। डॉक्टरों की सुरक्षा के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने 9 सदस्यों की टास्क फोर्स का गठन किया है। IMA ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का स्वागत किया है।
IMA की मांग
बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कोलकाता में डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत के बाद हड़ताल का आगाज किया था। IMA की मांग है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स को 3 हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और 2 महीने में फाइनल रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
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