Supreme Court important comment Divorce Case: सुप्रीम कोर्ट ने तलाक से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी में कहा है कि आखिरकार जब शादी टूटने की कगार पर हो और उसमें समझौते की या रिश्ते को बचाने की कोई गुंजाइश नहीं बची हो तो ऐसी स्थिति में पति और पत्नी का साथ रहना क्रूरता के समान है।
तलाक के इस मामले में कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि लंबे समय तक पति-पत्नी के साथ नहीं रहने को अलगाव मानते हुए शादी टूटने के मामले में माना जा सकता है। ऐसे में तलाक दिया जा सकता है वह भी नुच्छेद 142 का इस्तेमाल करके।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने तलाक के इस मामले में कहा कि विवाह विच्छेद के लिए संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी कड़वाहट के साथ एक साथ रह रहे हों तो इसे क्रूरता के आधार पर खत्म किया जा सकता है।
वहीं, दो अन्य फैसलों का भी कोर्ट ने जिक्र किया। इस फैसले में कहा गया है कि शादी के पूरी तरह से टूटने के आधार पर तलाक देने के लिए अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया जा सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने इसी साल अप्रैल महीने में पति-पत्नी के बीच तलाक को लेकर एक अहम फैसला दिया था। कोर्ट ने इस फैसले के दौरान कहा था कि अगर पति-पत्नी के बीच रिश्ते टूट चुके हों और समझौते की कोई राह नहीं बची हो तो मामले को संविधान के आर्टिकल 142 के तहत बिना फैमिली कोर्ट भेजे तलाक दिया जा सकता है। इसके साथ ही यह भी कहा था कि इसके लिए 6 महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं होगा।
अनुच्छेद 142 के बारे में










