---विज्ञापन---

अब जज का बेटा नहीं बनेगा जज! Nepotism पर ब्रेक लगाएगा सुप्रीम कोर्ट?

Supreme Court Collegium to End Nepotism: न्यायिक सेवा में नैपोटिज्म की समस्या सदियों से चली आ रही है। मगर अब सुप्रीम कोर्ट इस पर ब्रेक लगाने की तैयारी कर रहा है। जज का बेटा या कोई रिश्तेदार जज नहीं बन सकेगा।

Reported By : Prabhakar Kr Mishra | Edited By : Sakshi Pandey | Updated: Dec 30, 2024 15:22
Share :
Supreme Court

Supreme Court on Nepotism: जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया हमेशा से सवालों के घेरे में रही है। ‘जजेज सिलेक्टिंग जजेज’ वाली कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर हमेशा से इस बात की आलोचना होती रही है कि हाईकोर्ट में बड़े पैमाने पर जजों के सगे संबंधियों की नियुक्ति होती है और वही जज बाद में सुप्रीम कोर्ट आते हैं।

50 फीसदी जज संबंधी निकले

हाईकोर्ट में नियुक्त होने वाले जज और सुप्रीम कोर्ट आने वाले जजों की पृष्ठभूमि देखने पर यह आरोप सही भी लगता है, क्योंकि अधिकांश जजों के परिवार में पहले से कोई जज रहा होता है। किसी के पिता जज रहे होते हैं, किसी के चाचा-ताऊ जज रहे होते हैं या किसी के नजदीकी संबंधी जज होते हैं। NJAC मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में ये बात आई थी कि करीब 50 फीसदी हाईकोर्ट जज, सुप्रीम कोर्ट या हाइकोर्ट के किसी जज के संबंधी हैं।

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें- ISRO का SPADEX मिशन क्या? लॉन्चिंग आज; 5 पॉइंट्स में जानें सबकुछ

सुप्रीम कोर्ट लगाएगा विराम

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अब इस व्यवस्था पर विराम लगाने की तैयारी में है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या वर्तमान जज के परिवार से किसी एडवोकेट के नाम की सिफारिश जज के लिए नहीं भेजी जाएगी।

---विज्ञापन---

कॉलेजियम मीटिंग में उठा मामला

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कॉलेजियम मीटिंग के दौरान कॉलेजियम के एक मेंबर ने विचार रखा कि लोगों में यह एक आम धारणा है कि फर्स्ट जेनरेशन एडवोकेट ( जिनके परिवार से कोई जज नहीं रहा है ) की अपेक्षा जजों के संबंधी एडवोकेट्स को वरीयता मिलती है और फर्स्ट जेनरेशन एडवोकेट कम ही जज नहीं बन पाते हैं। इसलिए जजों के फैमिली मेंबर्स के नाम की सिफारिश पर रोक होनी चाहिए। कॉलेजियम के बाक़ी कुछ जजों ने भी इसपर अपनी सहमति जताई है। जबकि कुछ ने यह माना कि ऐसा होने से कुछ योग्य एडवोकेट जो जज नियुक्त होने की योग्यता रखते हैं, किसी जज का सगा होने से जज नहीं बन पाएंगे।

यह भी पढ़ें- Bastar Olympics के नाम की इनसाइड स्टोरी, जानें 45 दिन में क्या बदलने की कोशिश?

कैसे काम करता है कॉलेजियम सिस्टम?

कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जज होते हैं। यही पांच लोग मिलकर तय करते हैं कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कौन जज बनेगा। जिन्हें जज बनाना होता है कॉलेजियम उन नामों को सरकार के पास भेजती है। कॉलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिश को सरकार एक बार ही लौटा सकती है। सरकार कॉलेजियम के द्वारा दूसरी बार भेजी गई सिफारिश को मानने के लिए बाध्य है। मौजूदा कॉलेजियम में सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका शामिल हैं।

NJAC हुआ था रद्द

‘जजेज सिलेक्टिंग जजेज’ वाली कॉलेजियम व्यवस्था की कमियों को दूर करने के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) बना था, जिसे अक्टूबर 2015 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने रद्द कर दिया था। NJAC में चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर मोस्ट जज, केन्द्रीय कानून मंत्री के अलावा सिविल सोसाइटी के दो लोगों को भी शामिल करने का प्रावधान था।

यह भी पढ़ें- किसानों की 13 मांगें क्या? जिसके लिए किया ‘पंजाब बंद’; यहां देखें पूरी लिस्ट

HISTORY

Edited By

Sakshi Pandey

Reported By

Prabhakar Kr Mishra

First published on: Dec 30, 2024 03:22 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें