---विज्ञापन---

2002 Gujarat Riots: एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को सशर्त जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों को लगाई फटकार

2002 Gujarat Riots: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें गुजरात दंगों के मामले में सरेंडर करने के लिए कहा गया था। एक जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता की जमानत याचिका खारिज कर […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Jul 19, 2023 16:41
Share :
Supreme Court, Activist Teesta Setalvad, 2002 Gujarat riots
Teesta Setalvad

2002 Gujarat Riots: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें गुजरात दंगों के मामले में सरेंडर करने के लिए कहा गया था। एक जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सीतलवाड़ के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। इसके बाद हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता खत्म हो गई है। कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को चेतावनी भी दी है। कहा कि तीस्ता गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी और उनसे दूरी बनाकर रखेंगी। तीस्ता पर गुजरात दंगों के संबंध में कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने का आरोप है।

---विज्ञापन---

‘साक्ष्य अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए’

सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के मंशा और टाइमिंग पर सवाल उठाया। कहा कि 2022 तक क्या कर रहे थे? आपने 24 जून और 25 जून के बीच क्या जांच की है कि आपने फैसला किया कि उसने इतना घृणित काम किया है कि उसकी गिरफ्तारी जरूरी हो गई है।

जस्टिस गवई ने कहा कि अगर अधिकारियों के तर्क को स्वीकार कर लिया गया तो साक्ष्य अधिनियम की परिभाषा को कूड़ेदान में फेंकना होगा। हम आपको केवल सतर्क कर रहे हैं कि यदि आप इसमें और गहराई से जाएंगे, तो हमें टिप्पणियां करनी होंगी।

जस्टिस गवई की बातों पर सहमति जताते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने फैसला सुनाए जाने तक किसी को हिरासत में रखने की धारणा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि शुरुआत में हमें लग रहा था कि धारा 194 के तहत मामला है। अब हमें लगता है कि धारा 194 के तहत मामला संदिग्ध है। और आप चाहते हैं कि फैसला आने तक कोई विचाराधीन कैदी और हिरासत में रहे।

2022 में जमानत पर रिहा हुई थीं तीस्ता

तीस्ता सीतलवाड और पूर्व शीर्ष पुलिस आरबी श्रीकुमार को कथित तौर पर सबूत गढ़ने, जालसाजी करने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2002 के गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद सितंबर 2022 में तीस्ता को गुजरात की साबरमती जेल से रिहा कर दिया गया था।

गुजरात एटीएस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में यह भी कहा गया है कि गवाहों के झूठे बयान तीस्ता सीतलवाड द्वारा तैयार किए गए थे और दंगों की जांच के लिए गठित नानावती आयोग के समक्ष दायर किए गए थे। एफआईआर के अनुसार, सीतलवाड और श्रीकुमार ने झूठे सबूत गढ़कर और निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठी और दुर्भावनापूर्ण आपराधिक कार्यवाही शुरू करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रची थी।

यह भी पढ़ें: Monsoon Session: केंद्र सरकार मणिपुर हिंसा पर संसद में चर्चा के लिए तैयार, राजनाथ सिंह ने की सर्वदलीय बैठक

HISTORY

Edited By

Bhola Sharma

First published on: Jul 19, 2023 04:16 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें