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आर्टिकल 142 क्या? जिससे सुप्रीम कोर्ट ने बचाया छात्रों का करियर

आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मिली शक्तियों पर पिछले दिनों खूब चर्चा हुई। इस बीच अदालत ने 250 छात्रों की शिक्षा में आई अड़चन को दूर करते हुए बड़ा फैसला लिया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल कर सैकड़ों छात्रों के हक में फैसला दिया है।

Author Edited By : Shabnaz Updated: Apr 24, 2025 07:03
Supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संविधान के आर्टिकल 142 का इस्तेमाल किया। इस दौरान कोर्ट ने 250 छात्रों को उनके संस्थान के परिसर को ट्रांसफर की वजह से शिक्षा में आने वाली परेशानियों से बचाने का आदेश दिया। संविधान का आर्टिकल 142 SC को पूर्ण न्याय करने के लिए कुछ शक्तियां देता है, जिससे आदेश या डिक्री पारित करने का अधिकार मिलता है। यह फैसला जस्टिस बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ मंगलुरु में एक प्रॉपर्टी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया है, जहां पर एक होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट चलाया जा रहा था।

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि एक ओर जहां अपीलकर्ता को वर्तमान परिसर खाली करना है, वहीं दूसरी ओर वह परिसर जहां वह अपने इंस्टीट्यूट को ट्रांसफर करना चाहती है, तैयार नहीं है, इसलिए अपीलकर्ता को अपना संस्थान किसी अस्थायी स्थान पर ट्रांसफर करना होगा।

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कोर्ट ने कहा कि ‘हमें लगता है कि यह एक उचित मामला है, जिसमें इस कोर्ट को न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत के संविधान के आर्टिकल 142 के तहत अपने असाधारण अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम शक्ति का इस्तेमाल करने में विफल रहते हैं, तो लगभग 250 छात्रों का करियर खतरे में पड़ जाएगा।’ प्रॉपर्टी के मालिक और इंस्टीट्यूट के बीच हुए समझौते के अनुसार, संस्थान को 30 अप्रैल 2025 को या उससे पहले प्रॉपर्टी खाली करनी होगी।

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क्या है आर्टिकल 142?

आर्टिकल 142 सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह अपने समक्ष लंबित किसी भी मामलों में पूर्ण न्याय के लिए आवश्यक आदेश पारित कर सके। इसके अंतर्गत कोर्ट किसी भी प्रकार की डिक्री या निर्देश जारी कर सकता है, जिससे किसी विशेष मामले में न्याय दिया जा सके। IIM अहमदाबाद के शोधकर्ताओं ने 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन में यह देखा कि 1950 से 2023 के बीच सुप्रीम कोर्ट के 1,579 मामलों में आर्टिकल 142 की बात की गई है। हालांकि, इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि 1,579 में केवल आधे मामले ही हैं, जिनमें कोर्ट ने इस आर्टिकल के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए फैसला सुनाया है।

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Shabnaz

First published on: Apr 24, 2025 07:03 AM

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