भारतीय नौसेना यह कितनी ताकतवर है, इसे दुनिया को बताने की जरूरत नहीं है। नौसेना ने कठिन से कठिन मौके पर अपनी मौजूदगी दिखाकर देश का नाम रोशन किया है। बुधवार को इंडियन नेवी को आज एक ऐसा जहाज मिलने जा रहा है, जैसा दुनिया में किसी नेवी के पास नहीं है। इससे दुनिया यह भी देखेगी कि भारत में प्राचीन काल से ही किस तरह से जहाज बनते रहे हैं और हमारी समुद्री ताकत कितनी मजबूत थी। इस जहाज को उसी सदियों पुरानी तकनीक से तैयार किया गया है।
नेवी में इसका दूसरा फेज शुरू
नेवी में शामिल होने के बाद इसका दूसरा फेज शुरू होगा। भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद प्राचीन सभ्यता का प्रतीक वाले जहाज को महासागर में भेजा जाएगा, जो भारत की प्राचीन संस्कृति के बारे में दुनिया को बताएगा। आपको बता दें, नौसेना में अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए संस्कृति मंत्रालय और गोवा स्थित एक एमएसएमई होडी इनोवेशंस ने साथ मिलकर काम किया है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत देंगे जानकारी
नौसेना के कप्तान विवेक मधवाल ने न्यूज24 को एक्सक्लूसिव जानकारी देते हुए बताया कि आज एक समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस जहाज का नाम दुनिया के सामने रखेंगे। इस जहाज की रुपरेखा अजंता की गुफा से मिलाकर तैयार की गई है, जिसके निर्माण की नींव सितंबर 2023 में रखी गई थी।
इस जहाज की रूपरेखा पांचवीं शताब्दी ईस्वी के एक जहाज को मिलाकर तैयार की गई है। नौसेना कैप्टन विवेक मधवाल ने न्यूज24 को आगे जानकारी देते हुए बताया कि जोड़कर बनाए जाने वाले प्राचीन जहाज का काम पूरा होना पूर्ण रूप से कार्यात्मक समुद्री जहाज का कलात्मक चित्रण है।
कौन करेगा प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग?
उन्होंने कहा कि जहाज को शामिल किए जाने के बाद, यह प्रोजेक्ट अपने दूसरे अहम चरण में प्रवेश करेगा। इसमें भारतीय नौसेना पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्गों पर इस जहाज को चलाने की महत्वाकांक्षी चुनौती का सामना करेगी, लेकिन इस वजह से प्राचीन भारतीय समुद्री यात्रा का अनुभव भी किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि गुजरात से ओमान तक पोत की पहली अंतर-महासागरीय यात्रा की तैयारियां पहले से ही जारी हैं। आपको बता दें, इस जहाज का निर्माण बाबू शंकरण ने किया, जिन्होंने जहाज में हजारों जोड़ हाथ से सिले। पूरे प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग इंडियन नेवी ने की, जिसमें जहाज का डिज़ाइन, तकनीकी जांच और निर्माण शामिल है। इस प्रकार के जहाज का कोई पुराना डिजाइन या ढांचा नहीं बचा है और इसलिए इसकी पूरी रूपरेखा अजंता चित्रों से तैयार करनी पड़ी।
कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा कि यह जहाज आज के आधुनिक जहाजों से बिल्कुल अलग है। इसमें चौकोर पाल और लकड़ी की पतवारें हैं और इसे हाथ से चलने वाले चप्पुओं से नियंत्रित किया जाता है। नेवी ने इस जहाज के डिजाइन की जांच के लिए आईआईटी मद्रास के समुद्र इंजीनियरिंग विभाग की मदद ली और खुद भी इसकी मजबूती का परीक्षण किया। नेवी में शामिल होने के बाद नेवी इस जहाज को पुराने समुद्री व्यापार मार्गों पर चलाएगी। इसकी पहली समुद्री यात्रा गुजरात से ओमान के बीच की जाएगी, जिसकी तैयारी शुरू हो चुकी है।
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