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महाप्रलय और बवंडर की भविष्यवाणी! वैज्ञानिकों ने बताया कैसे और किन कारणों से होगा जीवन का विनाश?

Scientists Prediction for Earth And Life: धरती और जीवन के खत्म होने की भविष्यवाणी वैज्ञानिकों ने की है और इसके पीछे 2 कारण बताए हैं। वैज्ञानिकों ने एक शोध करके धरती का विनाश होने के संकेत जुटाए और लोगों को चेताया कि वे समय रहते संभल जाएं।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Jan 24, 2025 12:45
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Scientists Prediction for Earth Life End
इंसानों के कारण धरती और जीवन विनाश की ओर बढ़ रहे हैं।

Scientists Prediction for Earth And Life End: वैज्ञानिकों ने एक बार पर धरती और इस पर जीवन के विनाश को लेकर भविष्यवाणी की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती की जीवन रेखा पर खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों ने अत्यधिक गर्मी और CO2 के बढ़ते स्तर के कारण 250 मिलियन वर्षों में धरती पर जीवन के नष्ट होने के संकेत दिए हैं। वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं कि यह विनाश कैसे और क्यों होगा?

इंग्लैंड की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने नेचर जियोसाइंस में भविष्यवाणी की है कि अत्यधिक गर्मी और CO2 के बढ़ते स्तर के कारण 250 मिलियन वर्षों में पृथ्वी पर जीवन पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। उस समय तक पृथ्वी का तापमान इतना अधिक बढ़ जाएगा कि कोई भी जीवित प्राणी, चाहे वह भूमि पर हो या समुद्र में, जीवित नहीं रह सकेगा। इस स्थिति को पूर्ण विनाश की स्थिति कहा जा रहा है।

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कंप्यूटर सिम्युलेशन के आधार पर लगाया अनुमान

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा एक कंप्यूटर सिम्युलेशन के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि धरती पर महाप्रलय आएगी, लेकिन इसके आने में अभी 250 मिलियन वर्षों बाकी हैं। उस समय तक धरती का तापमान 70 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा और इतने तापमान में कोई सांस नहीं ले सकेगा।

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तबाही का यह समय पहले भी आ सकता है, क्योंकि हम जिस दर से पृथ्वी पर कार्बन उत्सर्जन बढ़ा रहे हैं, वह विनाश को और तेज कर सकता है। इस प्रकार का संकट पहले भी देखा गया था, जब 66 मिलियन साल पहले डायनासोर धरती से लुप्त हो गए थे। उन दिनों भी पृथ्वी पर तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि हुई और कार्बन का स्तर बहुत ज्यादा था।

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वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के इतिहास पर भी प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि अंतिम सुपरकॉन्टिनेंट जिसका नाम पैंगिया था, वह 330 मिलियन से लेकर 170 मिलियन वर्ष पूर्व तक अस्तित्व में था। अब वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले 250 मिलियन वर्षों में सभी महाद्वीप फिर से एकजुट होकर एक नए सुपरकॉन्टिनेंट पैंगिया उल्टीमा का रूप लेंगे। इस स्थिति में धरती पहले गर्म होगी, फिर सूख जाएगी। जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ेगा, वैसे-वैसे ज्वालामुखी फटेंगे।

धरती पर ज्यादातर क्षेत्रों में ज्वालामुखी हैं और जब यह ज्वालामुखी उच्च तापमान सहन नहीं कर पाएंगे तो वे फटने लगेंगे। इस विस्फोट के परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड का उत्सर्जन होगा। कार्बन डाइऑक्साइड का अत्यधिक स्तर जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा, क्योंकि यह वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी कर देगा। सांस लेने के लिए जरूरी प्राणवायु की कमी हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप जीवन की सभी संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी और पृथ्वी पर कोई भी प्राणी जीवित नहीं बच पाएगा।

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विनाश के कारणों का विश्लेषण

अलेक्जेंडर फर्नस्वर्थ ने इस शोध का नेतृत्व किया। उनका कहना है कि यदि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर वर्तमान के मुकाबले दोगुना भी बढ़ता है तो स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी। उस स्थिति में लोग गर्मी के कारण ही मृत्यु का शिकार हो सकते हैं। उनके इस शोध को ‘नेचर जियोसाइंस’ में 2023 में प्रकाशित किया गया था। उनका कहना है कि धरती का तापमान और कार्बन-डाइ-ऑक्साइड का स्तर बढ़ने पर निश्चित ही लोग मरेंगे और अगर कोई जीवन बचा भी तो वह केवल पैंगिया उल्टीमा के दक्षिणी और उत्तरी किनारों पर ही हो सकता है।

शोध केवल पृथ्वी के आने वाले भविष्य के बारे में चेतावनी नहीं देता, बल्कि यह हमारे वर्तमान आचरण पर भी सवाल उठाता है। जैसे-जैसे हम पृथ्वी पर कार्बन उत्सर्जन बढ़ा रहे हैं, स्थिति और बिगड़ती चली जाएगी। अगर हम इसे अभी से नियंत्रित नहीं करते तो आने वाले समय में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व खत्म हो सकता है। अगर हम अपनी आदतें नहीं बदलते और पर्यावरण की देखभाल नहीं करते तो यह विनाशकारी भविष्य केवल एक भूतपूर्व भय नहीं रहेगा, बल्कि वास्तविकता बन जाएगा।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Jan 24, 2025 12:27 PM

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