देश में दलित और आदिवासी समुदायों के खिलाफ अत्याचार के मामलों की स्थिति लगातार बिगड़ती दिख रही है. लोकसभा में पेश किए गए ताजा सरकारी आंकड़ों ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि कई राज्य इस गंभीर अपराध के बड़े केंद्र बन चुके हैं. सांसद राजकुमार रौत के प्रश्न के लिखित उत्तर में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक पिछले पाँच वर्षों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत हजारों मामले दर्ज हुए हैं.
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, राजस्थान में वर्ष 2023 में 8,449 केस दर्ज हुए, मध्य प्रदेश में 8,232 मामले सामने आए, महाराष्ट्र में 3,024 और गुजरात में 1,373 मामले रजिस्टर किए गए. ये आंकड़े साफ बताते हैं कि सामाजिक अत्याचार की समस्या इन राज्यों में लगातार और चिंताजनक रूप से बढ़ रही है. जिलावार विवरण और भी गंभीर तस्वीर पेश करते हैं, जहां कई जिलों में हर साल सैकड़ों मामले दर्ज होते रहे.
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पीड़ितों को इस अधिनियम के तहत कार्रवाई सुनिश्चित करवाने के लिए किसी विशेष दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं है. कानून में पीड़ित की परिभाषा व्यापक रखी गई है, जिसमें व्यक्ति के साथ-साथ उसके परिजन और अभिभावक भी शामिल होते हैं.
कानून मंत्री ने यह भी कहा कि SC/ST एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है. लेकिन बढ़ती घटनाओं के बीच यह सवाल लगातार उठ रहा है कि राज्य स्तर पर पुलिस और प्रशासनिक तंत्र इस संवेदनशील कानून को लेकर कितनी तत्परता दिखा रहे हैं. सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़े यह संकेत देते हैं कि समस्या केवल अपराध की नहीं, बल्कि कार्यान्वयन की कमियों की भी है.










