Sanjay Raut on Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को इंदौर में एक समारोह में कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि को प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनेक सदियों तक दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश की सच्ची स्वतंत्रता इस दिन प्रतिष्ठित हुई थी। बता दें के संघ प्रमुख ने यह बयान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुस्रकार से सम्मानित करने के बाद आया।
अब उनके इस बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है। शिवसेना यूबीटी उनके इस बयान की आलोचना की है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा न तो भागवत ने संविधान लिखा है और न ही संघ रामलला को लेकर आया है। वे जो कह रहे हैं वह गलत है। रामलला हजारों साल से यहां हैं। हमने उनके लिए लड़ाई लड़ी है। इसके लिए कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
स्वतंत्रता का उद्देश्य ऐसे स्पष्ट नहीं हुआ
भागवत ने इंदौर में कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश को ब्रिटिश शासन से राजनीतिक स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन उस स्वतंत्रता की दिशा और उसका असली उद्देश्य संविधान के गठन के समय स्पष्ट नहीं हुआ। उन्होंने आगे कहा कि भगवान राम, कृष्ण और शिव जैसे देवी-देवता भारतीय जीवन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जो देश के स्वतंत्रता का हिस्सा हैं। यह केवल उन्हीं लोगों तक सीमित नहीं है जो उनकी पूजा करते हैं।
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भारत का स्व मर जाए
भागवत ने आगे कहा कि आक्रांताओं ने मंदिरों का विध्वंस इसलिए किया ताकि भारत का स्व मर जाए। भागवत ने कहा राम मंदिर आंदोलन किसी व्यक्ति का विरोध या विवाद पैदा करने के लिए शुरू नहीं किया गया था। राम मंदिर आंदोलन भारत का स्व जागृत करने के लिए शुरू किया गया था। मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान देश में कोई झगड़ा नहीं हुआ। लोग पवित्र मन से प्राण प्रतिष्ठा के गवाह बने।
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