Sabse Bada Sawal, 25 April 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। एक पुरानी कहावत है अर्श से फर्श तक। ऊंचाईयों से गिरे फर्श पर गिरे। आज मैं भी गिरा हूं। फुटपाथ पर बैठा हूं। आज स्टूडियो में नहीं हूं। मेरी कोई वखत नहीं है। कहानी मेरे बारें में नहीं है। कहानी देश के आन, बान और शान, देश का तिरंगा लहराने वाले हमारे खिलाड़ी फुटपाथ पर बैठने को मजबूर हो गए हैं।
ये नए भारत की नई तस्वीर है। ये कड़वी हकीकत है। ये पहली बार नहीं बैठे हैं। तीन महीने पहले 18 जनवरी को पहलवान जंतर-मंतर पर आए थे। शिकायत कोई आम नहीं थी। शिकायत यौन शोषण की थी। शिकायत डराने धमकाने की थी। शिकायत परिवार पर दबाव डालने की थी। शिकायत खेल के करियर को बर्बाद कर देने की थी। आरोपों के घेरे में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और छह बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह आए। कोई सुनवाई नहीं हुई। तीन दिन तक ड्रामा चलता रहा।
आखिरकार सरकार ने एक कमेटी बनाने का फैसला किया। एक नहीं दो कमेटियां बन गईं। एक खेल मंत्रालय तो दूसरी ओलंपिक एसोसिएशन की। लेकिन रिपोर्ट आई तो उसमें बृजभूषण शरण सिंह का जिक्र तक नहीं है। कहा गया कि खेल संघ और खिलाड़ियों के बीच दूरी हुई। एक बार फिर पहलवान धरने पर हैं। दिल्ली पुलिस केस दर्ज नहीं कर रही है। आज का सबसे बड़ा सवाल है कि इंसाफ के लिए पहलवानों का दंगल? देश की शान…यौन शोषण से परेशान?
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