Sabse Bada Sawal, 20 April 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में मैं बात करने वाला हूं महाराष्ट्र की। लेकिन चर्चा होगी भारतीय राजनीति के मौजूदा सूरत-ए-हाल की। क्या शक्ल अख्तियार कर रही राजनीति, खेमेबंदी की और अडानी मामले के राजनीतिक असरात की भी। इस बात पर चर्चा क्यों? क्योंकि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने आज अडानी से दो घंटे बंद कमरे में बात हुई। किन मुद्दों पर बात हुई, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है। सभी नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन ये अपने आप में दिलचस्प हो जाता है।
शरद पवार अपनी चुप्पी में भी कई राजनीतिक संदेश दे जाते हैं। जब विपक्ष अडानी और पीएम मोदी के बीच रिश्ते को लेकर सवाल उठा रहा है तो वहीं शरद पवार की अडानी से मुलाकात के क्या मायने हैं। जब कांग्रेस ने जेपीसी मुद्दा उठाया तो एनसीपी ने साथ दिया था।
हाल ही में अडानी समूह के एक प्राइवेट चैनल को दिए इंटरव्यू में शरद पवार ने कहा कि जेपीसी जांच ये कुछ नहीं होगा। जांच होती है तो हो जाए। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक प्रेस रिलीज जारी की। उन्होंने मुंबई में धारावी के पुर्नविकास का ठेका अडानी समूह को दिए गए हैं, उस पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि दरअसल नवंबर 2018 में ये ठेका दुबई की एक कंपनी सेकलिंक टेक्नोलॉजी कार्पोरेशन को दिया गया। बोली लगाई थी 7200 करोड़ की। लेकिन नवंबर 2020 में रद्द कर दिया गया। एक नया टेंडर जारी किया गया। ये टेंडर महाराष्ट्र अर्बन विकास मिनिस्ट्री ने जारी किया। उस वक्त यह मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में था। अडानी समूह ने ये ठेका जीत लिया। बोली लगाई 5069 करोड़ की। उन्होंने कहा कि नए टेंडर जो निकाले गए, उसमें तर्जुबा कितना हो चाहिए, उसे बढ़ा दिया गया। फिर जो बोली की रकम लगाई गई, उसे किश्तों में दिए जाने का प्रावधान कर दिया गया। काम पूरा होने की मियाद पर मामूली दो करोड़ सालाना का जुर्माना लगाने का नियम बना दिया गया। तो भाई ये कैसी मित्रता?
शरद पवार मुंबई की राजनीति के बड़े खिलाड़ी है। कांग्रेस ने आरोप भी लगा दिए हैं। तो क्या विपक्ष की एकता फिर से चरमरा रही है क्या? अजीत पवार फिर से सुर्खियां बटोर रहे थे। बीजेपी से नजदीकियों के कयास लगाए जाने लगे। संजय राउत ने सामना में एक लेख लिखा कि बीजेपी एनसीपी को तोड़ने में जुटी है। ये अजीत पवार को बुरा लगा। उन्होंने कहा कि एनसीपी में था और एनसीपी में ही रहूंगा। फिलहाल एनसीपी के संभागीय कार्यकर्ता सम्मेलन से अजीत पवार का नाम गायब है। अब नए समीकरण बनेंगे क्या? क्या एनसीपी टूट भी सकती है? राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता है। तो आज का सबसे बड़ा सवाल यही है कि पवार-अदाणी मुलाकात…एनसीपी टूटीगी या विपक्ष से जुड़ेगी?
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