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जजों की नियुक्ति में महिलाओं, पिछड़े, अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाए; जानें किसने की सिफारिश

प्रशांत देव, नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में मणिपुर पर चर्चा, अविश्वास प्रस्ताव पर गहमागहमी, हंगामे के बीच संसद की एक स्थाई समिति की सिफारिश पर कम ही लोगों का ध्यान गया है। कार्मिक, न्याय और कानून मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति ने महत्वपूर्ण सिफ़ारिश की है, जो सदन में पेश की गई है। […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Aug 9, 2023 14:46
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parliamentary panel recommends representation of various sections in judicial appointments at high court, supreme court
संसदीय पैनल ने उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय में न्यायिक नियुक्तियों में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व की सिफारिश की है। -फाइल फोटो

प्रशांत देव, नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में मणिपुर पर चर्चा, अविश्वास प्रस्ताव पर गहमागहमी, हंगामे के बीच संसद की एक स्थाई समिति की सिफारिश पर कम ही लोगों का ध्यान गया है। कार्मिक, न्याय और कानून मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति ने महत्वपूर्ण सिफ़ारिश की है, जो सदन में पेश की गई है।

समिति ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों को लेकर सिफारिश की है कि कॉलेजियम को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि इसमें महिलाओं, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व हो। इस प्रावधान का ज़िक्र मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर में स्पष्ट रूप से करने की भी सिफ़ारिश की गई है।

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सिफारिश में आरक्षण नहीं, प्रतिनिधित्व पर दिया जोर

समिति की सिफारिश में आरक्षण की बात कहीं नहीं कही गई है लेकिन, प्रतिनिधित्व की बात कही गई है। रिपोर्ट में प्रतिनिधित्व देने की बात के तर्क का आधार है कि न्यायपालिका में विविधता की कमी है। ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जिससे ये पता चल सके कि जजों की नियुक्ति में किस वर्ग को कितना प्रतिनिधित्व मिला है।

 

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सिफारिश की गई है कि सरकार को जजों की सामाजिक पृष्ठभूमि का डेटा रखना चाहिए, जिससे ये पता चल सके की किसको कितना प्रतिनिधित्व मिला है? अब तक ऐसा कोई डेटा सरकार के पास नहीं है। इस सिफारिश में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर में भी इस बात को रखा जाए, जिसे सरकार बनाती है और जिसके आधार पर कॉलेजियम जजों की नियुक्ति करता है।

जजों की नियुक्तियों को लेकर सरकार और न्यायपालिका में होता रहा है टकराव

हालांकि मेमोरेंडम ऑफ़ प्रोसीजर को लेकर सरकार और न्यायपालिका में टकराव देखा गया है, जो जजों की नियुक्तियों को लेकर होती है। बता दें कि संसद की स्थाई समिति में सरकार और विपक्ष के कुल 31 सदस्य होते हैं।और इस समिति के अध्यक्ष बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी हैं। हालांकि संसद की स्थाई समिति की सिफारिशों को मानने की कोई बाध्यता भी नहीं है।

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Written By

Om Pratap

First published on: Aug 09, 2023 10:03 AM
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